बाबा महाकाल से भक्त फूलों से खेलेंगे होली
होलिका दहन के दूसरे दिन बाबा महाकाल से होली खेलने के लिए बड़ी संख्या में जन सैलाब उमड़ता है। सुबह से ही यहां पहुंचने वाले भक्त बाबा महाकाल को अबीर, गुलाल का तिलक लगाने के बाद मंदिर परिसर में ही जमकर होली खेलते हैं। इससे पूरे मंदिर परिसर में रंग बिखर जाता है। बाद में परिसर की सफाई के लिए बड़ी मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है।
वर्तमान में उज्जैन गंभीर रूप से जल संकट के दौर से गुजर रहा है। आलम यह है कि सप्ताह में एक बार ही लोगों को पानी मिल पा रहा है। इन स्थितियों को ध्यान में रखकर शहर के बुद्धिजीवियों, साधू संतों और महाकालेश्वर मंदिर की प्रबंध समिति ने इस बार बाबा महाकाल से फूलों की होली खेलने का निर्णय लिया है।
प्रबंध समिति के प्रशासक शुभकरण शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि सांकेतिक तौर पर बाबा महाकाल को अबीर गुलाल लगाया जाएगा मगर होली फूलों से ही खेली जाएगी। वे कहते हैं कि उज्जैन में गहराए जल संकट के इस दौर में रंग गुलाल से होली न खेलना आवश्यकता बन गई है। साथ ही प्रदूषण और रंग से होने वाले नुकसान से भी लोगों को बचाया जा सकेगा।
उनका मानना है कि बाबा महाकाल से फूलों से होली खेलना भक्तों के लिए भी सुखद और नया अनुभव होगा। साथ ही मंदिर परिसर में बिखरने वाले रंगों की सफाई पर खर्च होने वाले पानी को भी बचाया जा सकेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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