भारत लौटेंगी गांधी की निशानियां (लीड-2)

By Staff
Google Oneindia News

न्यूयार्क, 6 मार्च (आईएएनएस)। देश के प्रमुख उद्योगपति विजय माल्या द्वारा यहां हुई नीलामी में महात्मा गांधी की निजी वस्तुएं 18 लाख डॉलर में खरीदे जाने के साथ ही इन राष्ट्रीय धरोहरों का भारत लौटना तय हो गया है।

भारत सरकार के कड़े विरोध और दिल्ली उच्च न्यायालय की रोक तथा ऐन मौके पर अमेरिकी संग्रहाक जॉन ओटिस द्वारा स्वयं भी पीछे हटने के बावजूद यहां के एंटीकोरम ऑक्शनीयर्स ने गांधी की वस्तुओं की नीलामी की। इन वस्तुओं में गांधी जी का चश्मा, वर्ष 1910 की घड़ी, एक जोड़ी चप्पलें, कटोरा, एक थाली शामिल हैं।

अमेरिकी न्याय विभाग ने नीलामी करने वाली संस्था से कहा है कि वह इन वस्तुओं को दो सप्ताहों तक अपने पास रखे।

पूर्व सांसद एवं यूबी समूह के मालिक माल्या की ओर से बोली लगाने वाले टोनी बेदी ने बाद में घोषणा की कि ये निशानियां भारत ले जाएंगी और इन्हें जनता के दर्शनार्थ रखा जाएगा।

बेदी ने संवाददाताओं को बताया, "मुझे पक्का यकीन है कि सभी भारतीयों को ये जानकर बहुत खुशी होगी कि गांधीजी की वस्तुएं देश में लाई जा रही हैं।"

इससे पहले बुधवार को नीलामी को रुकवाने की सशर्त पेशकश करने वाले ओटिस ने गुरुवार को नीलामी से वस्तुएं हटाने की घोषणा की। नीलामी संस्था द्वारा उन वस्तुओं की नीलामी कराने के बाद ओटिस के वकील ने इस बिक्री को अवैध करार दिया।

उनके वकील रवि बत्रा ने कहा कि मसला यहां महात्मा गांधी की धरोहर की नीलामी का नहीं था। ओटिस ने बिक्री से पहले संवाददाताओं से कहा, "मेरी मंशा विवाद खड़ा करने की नहीं थी। शुक्र है कि इसका नतीजा सकारात्मक रहा।"

उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार गरीबों पर खर्च बढ़ाने को राजी हो जाती, वे उन्हें भारत को दान कर देते।

नीलामी के दौरान कक्ष में मौजूद दस से ज्यादा व्यक्तियों, टेलीफोन के माध्यम से 30 व्यक्तियों और लिखित रूप से 20 से ज्यादा लोगों ने बोली लगाई।

गांधी की वस्तुएं बिक्री के लिए पेश करते हुए पियानो की धुन के बीच उनका स्लाइड शो प्रदर्शित किया गया। इस दौरान वहां सन्नाटा छा गया। वस्तुओं का मूल्य 10,000 डॉलर रखा गया था लेकिन बोली शुरु होने के दो मिनट बाद ही इनकी दस लाख डॉलर तक पहुंच गई।

नीलामी के दौरान एक समय तो माल्या के प्रतिनिधि बेदी और भारत के पूर्व क्रिकेटर दिलीप दोषी के गर्नसे ऑक्शन हाउस के प्रतिनिधि एर्लेन एटनर के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।

इस बीच भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रवक्त ने कहा है कि इस नीलामी में भारत सरकार ने भाग नहीं लिया। क्योंकि ऐसा करना दिल्ली उच्च न्यायालय की अवमानना होती। प्रवक्ता ने इस बात का खंडन किया है कि भारत के महावाणिज्य दूत प्रभु दयाल के साथ ओटिस की बुधवार की बैठक के बाद भी दूतावास ने गुरुवार को भी उनसे चर्चा जारी रखी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

*

देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X