गांधी की वस्तुओं की स्वदेश वापसी से भारतीयों में खुशी
किंगफिशर के मालिक विजय माल्या की ओर से बोली लगा कर इन वस्तुओं को खरीद लिया गया।
महात्मा गांधी की पौत्री और गांधी स्मृति व दर्शन समिति की उपाध्यक्ष तारा गांधी भट्टाचार्य ने कहा, "हमने भरसक कोशिश की। हमारी बड़ी जीत यह रही ्र कि भारत शांत होकर नहीं बैठा रहा।"
भट्टाचार्य ने आईएएनएस को बताया, "इस मामले को लेकर हम जितने चिंतित थे उतना कुछ होहल्ला नहीं हुआ। मैं इस बात से खुश हूं कि देश के युवा व बुजुर्ग समान रूप से इस मामले को लेकर चिंतित दिखाई दिए। मीडिया ने भी अपनी भूमिका निभाई।"
दिन में जैसे ही यह खबर आई कि उद्योगपति विजय माल्या ने गांधी से जुड़ी वस्तुओं की बोली जीत ली, पर्यटन व संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि चूंकि मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के अधीन था लिहाजा सरकार इस मामले में सीधे नहीं हिस्सा ले सकती थी।
सोनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "ये वस्तुएं एक भारतीय, डॉ. विजय माल्या के सौजन्य से खरीदी गई हैं।"
सोनी ने कहा, "प्रधानमंत्री ने मुझे निर्देश दिया है कि इसके लिए जो भी संभव हो किया जाए।"
माल्या के प्रतिनिधि टोनी बेदी ने न्यूयार्क में 18 लाख डॉलर की बोली लगाकर इन वस्तुओं को खरीदा।
महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं, वाकई बहुत खुश हूं।" उन्होंने कहा कि पूर्व क्रिकेटर दिलीप दोषी भी इन वस्तुओं की बोली लगा कर उन्हें भारत लाने की कोशिश में थे।
तुृषार ने एक समाचार चैनल को बताया, "हमने वहां एक सुरक्षा जाल बिछा कर रखा था। दोषी भी इन वस्तुओं की बोली लगा रहे थे। लेकिन जब हमने महसूस किया कि एक भारतीय बोली उनके खिलाफ लगाई जा सकती है तो उन्होंने अपनी बोली 17 लाख डॉलर पर रोक दी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।