'उल्फा को भेजे रहे हथियारों के पीछे खालिदा सरकार का हाथ था'
स्थानीय समाचार पत्र 'द डेली स्टार' के मुताबिक इस मामले में दो आरोपियों मोहम्मद हफीजुर रहमान और दीन मोहम्मद ने सोमवार को ढाका की एक अदालत को दिए बयान में यह दावा किया है।
उल्लेखनीय है कि 10 ट्रकों में हथियारों की बड़ी खेप उल्फा को पहुंचाई जानी थी। लेकिन चटगांव बंदरगाह पर तैनात पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ अधिकारियों के फरमान की जानकारी नहीं थी और उन्होंने तस्करी की यह कोशिश नाकाम करते हुए हथियारों की बरामदगी अपने रिकार्ड में दिखा दी।
दोनों आरोपियों ने अदालत को दिए 10 पृष्ठों के इकबालिया बयान में कहा है कि हथियारों की तस्करी प्रत्यक्ष रूप से उल्फा प्रमुख परेश बरुआ की देखरेख में हो रही थी जो उस समय ढाका में ही रह रहा था। रहमान ने बताया कि उसने खुद बरुआ से मुलाकात की थी।
इन दोनों आरोपियों की ओर से दिए गए इकबालिया बयान की जो रिपोर्ट न्यायालय में सौंपी गई है उसमें बांग्लादेश के उन नेताओं का नाम शामिल नहीं है, जो इस मामले में कथित तौर पर शामिल थे।
रहमान और मोहम्मद ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद उस्मान गनी के समक्ष दिए बयान में कहा है कि खालिदा सरकार के गृह एवं उद्योग मंत्रालय, कुछ बड़े खुफिया अधिकारी और बांग्लादेशी तटरक्षक बल हथिायारों की इस तस्करी से पूरी तरह वाकिफ थे।
गौरतलब है कि इससे भारत की वह बात पुख्ता साबित होती है कि पूर्वोत्तर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे आतंकवादियों को बांग्लादेश की खालिदा सरकार से समर्थन मिल रहा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।