प्रणय पर्व 'भगोरिया' के रंग में रंगे आदिवासी अंचल
आदिवासी बाहुल्य जिलों में लगने वाला भगोरिया मेला एक सांस्कृतिक पर्व है। मगर उसकी पहचान प्रणय पर्व की है। झाबुआ और अलीराजपुर में सात दिवसीय कुल 52 भगोरिया मेलों का आयोजन किया जाता है। यह युवक और युवतियों के खास आकर्षण का केन्द्र होता है। यह पर्व उन्हें अपने नए जीवन साथी को चुनने का मौका देता है।
इन मेलों में पहुंचने वाले युवक और युवतियां लोक संगीत और वाद्य यंत्रों की धुन पर खूब थिरकते हैं। वे एक-दूसरे का दिल जीतने की कोशिश करते हैं।
मेले में पहुंचने वाले युवक नए जीवन साथी का सपना संजोकर पहल करते हैं। पहल का तरीका भी निराला होता है। युवक, युवती को गुलाल लगाने के साथ पान का बीड़ा सौंपता है। अगर युवती उस बीड़े को स्वीकार कर लेती है तो यह मान लिया जाता है कि वह युवती उस युवक को पसंद करती है।
युवक और युवती की अघोषित रजामंदी के बाद बात आगे बढ़ती है। या तो दोनों मेले से भागकर ब्याह रचा लेते हैं या फिर परिवार की मर्जी से वैवाहिक बंधन में बंधते हैं।
यह अनोखा पर्व हर किसी के आकर्षण का केन्द्र होता है। इस आयोजन में मध्य प्रदेश, गुजरात तथा राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों के आदिवासी तो शामिल होते ही हैं, विदेशी पर्यटक भी भगोरिया मेले का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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