लखनऊ में पेड़ बचाने के लिए 'गब्बर' को बनाया सहारा

By Staff
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दरअसल, यह किसी नाटक या फिल्म का डायलॉग नहीं बल्कि शहर में हरे भरे पेड़ों को बचाने के लिए फिल्म शोले के गब्बर के डायलाग की तर्ज पर तैयार स्लोगन है, जिसे लखनऊ के मनमोहन शर्मा ने तैयार किया है। शर्मा लोगों को जागरूक करने के लिए शहरभर में पर्चे बांट रहे हैं।

होली पर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए लखनऊ के आलमबाग इलाके की समर विहार कालोनी में रहने वाले मनमोहन शर्मा ने बताया कि वह होली के एक दिन पहले तक यह मुहिम चलाएंगे। वह रोज करीब दो हजार पर्चे बांटते हैं।

शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि पर्यावरण के प्रति लोगों को सजग करने लिए वह शोले के गब्बर के डायलाग की तर्ज पर डायलाग लिखकर पर्चे बांट रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरे भरे पेड़ काटने वाले समाज के डकैत हैं। हम हर होली पर लाखों पेड़ों को काटकर जला देते हैं। उन पेड़ों को जो हमें प्राणदायिनी आक्सीजन देते हैं। हम चाहे तो बिना पेड़ काटे पुरानी बेकार पड़ी सूखी लकड़ियों से भी होलिका जलाकर अपना त्योहार मान सकते हैं।

पर्चे में उन्होंने पेड़ काटने वालों को समाज के गब्बर (डकैत) की संज्ञा दी है। पर्चे में गब्बर आदेश देता है कि होली से पहले शहर भर से सारे पेड़ काट लाओ जिससे कि कोई परिंदा अपना घौंसला न बना पाए। आदमी स्वच्छ हवा में सांस न ले सके। हर जगह से सारी लकड़ियां उठा लाओ ताकि आखिरी समय पर जब इंसान को नौ मन लकड़ी का जरूरत पड़े तो उसे छटांक भर भी नसीब न हो।

शर्मा ने कहा कि होलिका पर पेड़ जलाने के बजाय हम अपने अहंकार और आपसी मतभेदों को जलाएं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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