राजस्थान में बाल नीति की होगी पुनर्समीक्षा : काक

By Staff
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काक शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के महिला एंव बाल विकास मंत्रियों और सचिवों के सम्मेलन में बोल रही थी।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को टैक्सी ड्राइवर, हाउस कीपर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम के अवसर देना जरूरी है। विशेष कर राजस्थान जैसे पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेश में विदेशी महिला पर्यटकों के साथ महिला टैक्सी ड्राइवर का प्रयोग सार्थक सिद्घ हो सकता है।

काक ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए कानून की सख्ती से पालना करने के साथ ही जनचेतना और शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति कुंठित भावनाओं को बदलने के लिए वातावरण बनाना होगा। विशेष कर पाठ्य पुस्तकों में महिलाओं और बच्चों के झाडू लगाने, हाथ में हुक्कां और खाना -पानी पकड़े खडे होने जैसे चित्रों के प्रकाशन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा प्रदेश में उन्हें बदला जायेगा।

उन्होंने बालिका भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए स्ंवयसेवी संगठनों को आगे लाने की जरूरत पर बल देते हुए बताया कि राजस्थान के गंगानगर क्षेत्र में लडकियों के जन्म होने पर गुरूद्वारा में उनके माता-पिता का सम्मान होता हैं। इसी प्रकार बीकानेर की उरमूल डेयरी द्वारा महिलाओं के गभर्धारण के साथ ही टीकाकरण और भ्रूण जांच से बचने जैसी बातों का शिक्षण और प्रचार जैसे कार्य किए जा रहे हैं।

काक ने कहा कि टी.वी. सीरियल बालिका वधू द्वारा बाल-विवाह जैसी सामाजिक कुरूतियों के विरूद्घ जर्बदस्त संदेश दिया जा रहा है। ऐसी जन शिक्षण और जनसंचार फैलाने वाली फिल्मों के सम्पादित अंशो का पूरे देश में अधिकाधिक प्रसारण होना चाहिए।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि राजस्थान में करीब 50 हजार आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है, लेकिन केवल 18 हजार आंगनवाड़ी भवन ही बने हुए है। शेष आंगनवाड़ियां पंचायतघरों अथवा स्कूलों में चल रही हैं। काक ने केन्द्र सरकार से मांग की कि प्रदेश में आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के लिए शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता मुहैया कराई जाए। उन्होंने केन्द्र द्वारा राजस्थान के लिए दस हजार नये आंगनवाड़ी केन्द्रो की स्वीकृति दिए जाने के लिए आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1.72 लाख स्वयं सहायता महिला समूहों का गठन हो चुका है। जिनमें करीब 1.23 लाख महिला समूहों को 265 करोड़ रूपये का ऋण दिलवा कर स्व-रोजगार गतिविधियों सें जोड़ा जा चुका है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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