भ्रष्टाचार के मामले में सुखराम को 3 साल के कारावास की सजा (लीड-2)
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश वी.के. महेश्वरी ने अदालत में जुर्माने की राशि जमा कराने के बाद सुखराम को सुनाई गई तीन साल की कैद की सजा 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
82 वर्षीय सुखराम को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और 50 हजार रुपये की जमानत राशि चुकाने के बाद जमानत दे दी।
न्यायाधीश ने अपने 150 से अधिक पृष्ठों के फैसले में कहा है, "भारतीय समाज के बड़े हिस्से को कैंसर रूपी भ्रष्टाचार ने खा लिया है। इसने पहले ही समाज को काफी नुकसान पहुंचाया है। यदि जनसेवक भ्रष्ट हो जाता है तो समाज की पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है और सरकारी नीतियां प्रतिकूल असर डालती हैं। ऐसे में भ्रष्ट जनसेवक समाज के लिए खतरा हैं।"
उन्होंने कहा कि सजा नहीं मिलने के कारण ही राजनीतिक भ्रष्टाचार की स्थिति इतनी खराब है। जब हमारे नेता, जो समाज के लिए आदर्श होते हैं, स्वयं भ्रष्ट जो जाएं तो ऐसे में कैसे जनता से ईमानदारी की आशा की जा सकती है। आज की जरूरत कैंसर रूपी भ्रष्टाचार को तुरंत खत्म करने की है।
सुखराम को गत 20 फरवरी को वर्ष 1991 से 1996 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 4.25 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा करने का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने बुधवार को धनराशि जब्त कर ली।
सीबीआई ने सुखराम पर वर्ष 1991 से 1996 के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 5.36 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के कार्यकाल में संचार राज्य मंत्री रहे सुखराम के नई दिल्ली और हिमाचल प्रदेश स्थित आवासों में 3.61 करोड़ रुपये नकद, 10 लाख रूपये मूल्य के जेवरात, 492,000 रुपये का बैंक बैलेंस और अन्य वस्तुओं के अलावा 10 लाख रुपये मूल्य की घरेलू वस्तुएं मिली थीं।
अदालत ने सुखराम को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) और 13(1) (ई) के तहत दोषी ठहराया है।
सुखराम के वकील एस.पी. मिनोचा ने दावा किया कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और वे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के शिकार हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।