क्या भाभा ने बढ़ाई थी चीन की परमाणु महत्वाकांक्षा?(लीड-1)
के.एस. जयरामन
बेंगलुरू, 25 फरवरी (आईएएनएस)। चीन के प्रधानमंत्री झाओ एनलाइ के वर्ष 1960 में ट्राम्बे दौरे में क्या भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी भाभा ने उन्हें भारतीय परमाणु उपलब्धियों की झलक दिखाकर कोई गलती की थी?
परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष होमी सेठना का ऐसा मानना है कि भाभा के अनजाने में उठाए गए इस कदम ने संभवत: चीन को अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए उकसा दिया होगा।
इंडियन फिजिक्स एसोसिएशन की पत्रिका 'फिजिक्स न्यूज' को दिए विशेष साक्षात्कार में सेठना ने कहा, "जब झाओ एनलाई हमारे वहां आए तो डॉक्टर भाभा ने उन्हें करीब 50 किलोग्राम वजन वाली यूरेनियम की ईंट दिखाते हुए उनसे उसे उठाने की कोशिश करने को कहा।" पत्रिका भाभा की जन्मशती के मौके पर विशेषांक प्रकाशित कर रही है।
सेठना के अनुसार,"झाओ एनलाइ ने हमें बताया कि हम उस समय चीन से दस वर्ष आगे थे, लेकिन उनके वापस लौटने के दो साल के साल के भीतर ही चीन ने रूस की तकनीकी मदद से तैयार यूरेनियम की सहायता से परमाणु बम का परीक्षण किया।"
सेठना ने कहा कि हमें एनलाइ के समक्ष अपनी क्षमताएं प्रदर्शित नहीं करनी चाहिए थीं। उन्होंने कहा कि भारत के आगे बढ़ने के भय ने चीन के परमाणु कार्यक्रम में तेजी ला दी।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ भाभा के संबंधों के बारे में सेठना ने बताया कि भाभा ने उनसे सिर्फ यही कहा था कि वह ज्यादा (अपने पिता नेहरू जितनी) प्रतिभाशाली नहीं हैं।
सेठना ने बताया कि सहायता पाने के लिए सेठना ने तत्कालीन वित्त सचिव के साथ कई देशों की यात्रा की लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।
उन्होंने बताया, "इसके बाद इंदिरा ने तय किया कि हमें सब कुछ अपने ही बूते पर करना होगा और उसके बाद उन्होंने प्लूटोनियम संयंत्र मेरे हवाले करके कहा मैं जैसे करना चाहूं करूं लेकिन मुझे ऐसा उपकरण चाहिए था जो दुनिया को हिलाकर रख दे।"
1974 में जब भारत ने अपने परमाणु बम का परीक्षण किया तो दुनिया सचमुच हिल उठी थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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