श्रीलंकाः भीषण संघर्ष, भारत चिंतित
भारत ने श्रीलंका सरकार से बेघर हुए नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए 'उचित और विश्वसनीय प्रक्रिया' अपनाने और घायलों को तत्परता से चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपील की।
श्रीलंकाई सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सेना मंगलवार सुबह राजधानी कोलंबो से 385 किलोमीटर पूवरेत्तर में पुटुकुडुयिरप्पू में दाखिल होने के बाद अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी है।
बयान में कहा गया कि सोमवार की लड़ाई में तमिल विद्रोहियों को भारी क्षति उठानी पड़ी। बयान के मुताबिक सेना को भी मामूली नुकसान हुआ। हालांकि दोनों पक्षों को पहुंचे नुकसान का ब्योरा फिलहाल नहीं दिया गया है। सेना की कार्रवाई की स्वतंत्र पुष्टि भी नहीं की जा सकी है।
हमले की ताजा कार्रवाई सरकार द्वारा लिट्टे की संघर्षविराम की पेशकश ठुकराने के एक दिन बाद की गई है। लिट्टे ने संघर्षविराम का आान किया था लेकिन उसने हथियार डालने से इंकार कर दिया था।
रक्षा प्रवक्ता केहेलिया रंबुकवेला ने लिट्टे के इस प्रस्ताव को हास्यास्पद करार देते हुए खारिज कर दिया था और कहा था इससे लगता है लिट्टे की ताकत पूरी तरह पस्त हो चुकी है।
श्रीलंका के मुल्लइतिवु जिले के अशांत क्षेत्रों में करीब 70,000 नगारिक फंसे हुए हैं।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने लिट्टे के कब्जे वाले इलाके में फंसे हजारों नागरिकों को वहां से निकालने में सहायता देने की भी मंशा जाहिर की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने एक बयान में कहा कि भारत ने श्रीलंका सरकार और सभी संबद्ध पक्षों से अपील की है कि वे बेघर हुए नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए उचित और विश्वसनीय प्रक्रिया अपनाएं। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को इस पर नजर रखने दिया जाए। उन्होंने कहा सुरक्षित क्षेत्र की शुचिता का दोनों पक्षों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
अशांत क्षेत्रों से कुछ घायलों को समुद्र के रास्ते बाहर निकाले जाने की ओर संकेत करते हुए भारत ने दोनों पक्षों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में ऐसे लोगों को समुद्री या जमीनी रास्ते से बाहर निकालने की अपील की है।
प्रवक्ता ने कहा भारत मासूम नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर प्रकार की सहायता देने और राहत सामग्री, दवाओं और चिकित्सा संबंधी देखभाल की जरूरते पूरी करने को राजी है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार बीमार और घायल लोगों को चिकित्सा सहायता तथा दवाएं उपलब्ध कराने के लिए श्रीलंका सरकार के साथ बातचीत कर रही है।
विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की अगले सप्ताह होने वाली श्रीलंका यात्रा में बातचीत के दौरान नागरिकों की सुरक्षा का मसला छाए रहने की संभावना है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि घरेलू जिम्मेदारी बढ़ जाने की वजह से विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी सार्क देशों के मंत्रियों की 31 वीं बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।