जमीन खोने वाले किसानों के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने जताई सहानुभूति
इस महीने की नौ तारीख को दिए अपने फैसले में न्यायामूर्ति आर. वी. रवींद्रन और न्यायमूर्ति जे. एम. पंचाल की खंडपीठ ने कहा, "पुनर्वास की पर्याप्त व्यवस्था के साथ वास्तविक मुआवजे का त्वरित भुगतान नहीं किया जाना गरीब परिवारों को दुख और बर्बादी की ओर धकेलता है।" फैसले की प्रतिलिपि बाद में जारी की गई।
सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी अधिग्रहण में जमीन खोने वाले किसानों के साथ सहानुभूति जताते हुए राज्य उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली कर्नाटक सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। राज्य उच्च न्यायालय ने मुआवजे की राशि बढ़ाते हुए एक एकड़ जमीन के लिए इसे 5,300 से बढ़ाकर करीब 40 हजार रुपये कर दिया था।
दिसंबर 1990 में उत्तरी कर्नाटक के एक जिले के किसान महबूब की एक एकड़ जमीन के लिए सरकार ने सितंबर 1991 में मुआवजे के रूप में चार हजार रुपये का भुगतान किया था। एक निचली अदालत ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 40 हजार कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।