बेहद दिलचस्प है नोएडा के 'सुरक्षा बाबा' की दास्तान
नोएडा, 22 फरवरी (आईएएनएस)। मुकुलचंद शर्मा वैसे तो 74 वर्ष के हैं लेकिन जैसे ही वह 'सुरक्षा बाबा' का रूप धारण करते हैं, मानो उनमें नौजवानों जैसी ऊर्जा आ जाती है।
मुकुलचंद का काम व्यस्त सड़कों को खतरनाक ढंग से पार करने वाले लोगों को ऐसा नहीं करने के लिए जागरूक करना है। इसके लिए मुकुलचंद किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करते बल्कि वह अपनी तरह की 'गांधीगीरी' आजमाते हैं।
नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के बाद से मुकुलचंद के मन में समाज सेवा करने की ललक जगी थी। हालांकि वह यह नहीं जानते थे कि उनका यह प्रयास समाज को कितना फायदा पहुंचाएगा लेकिन धुन के पक्के मुकुलचंद ने समाज सेवा के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया।
शुरुआत में वह अपने काम को लेकर ऊहापोह में थे लेकिन एक घटना ने उन्हें पलक झपकते ही मुकुलचंद शर्मा से 'सुरक्षा बाबा' बना दिया।
मुकुल ने आईएएनएस से कहा, "मेरे एक करीबी दोस्त का जवान बेटा सड़क दुर्घटना में मारा गया। इसके बाद से ही मैंने यह भूमिका धारण कर ली। मैंने ठान लिया कि लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करके ही दम लूंगा। यह मेरी जिंदगी का मकसद बन गया।"
उन्होंने कहा, "इसके लिए मैंने पर्चे छपवाए, अपनी पोशाक सिलवाई और एक लाउडस्पीकर खरीदा। मैंने अपना नाम 'सुरक्षा बाबा' रख लिया। इससे मेरा अभियान रोचक और लोकप्रिय बन गया। इसके बाद मैंने 2004 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलकर यातायात नियंत्रण की इजाजत हासिल कर ली।"
आज की तारीख में मुकुलचंद शहर की विशिष्ट हस्तियों में गिने जाते हैं और उनके अनूठी समाजसेवा के लिए उनका सम्मान होता है। उनका एकमात्र मकसद लोगों को ऐसे काम करने से रोकना है, जिनके कारण उनकी जान खतरे में पड़ती हो।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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