मंदी का सकारात्मक असर, सेना से अधिकारियों का पलायन रूका (लीड-1)

By Staff
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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। वैश्विक स्तर पर आए आर्थिक संकट का भारतीय सेना पर सकारात्मक असर पड़ा है। दरअसल, अधिकारियों के पलायन की पीड़ा झेल रही सेना के तीनों अंगों में यह चलन रूक गया है।

थल सेना की नौकरी से समय पूर्व अवकाश लेने का जो प्रचलन पिछले कुछ वर्षो में बढ़ा था वह अब लगभग समाप्त हो गया है और स्वैच्छिक अवकाश चाहने वाले कई अधिकारी अपने आवेदन वापस ले रहे हैं। औसतन हर तीसरे दिन एक अधिकारी अपना आवेदन वापस ले रहा है।

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "पिछले छह माह में 65 सैन्य अधिकारियों ने समय से पूर्व अवकाश प्राप्त करने का अपना आवेदन वापस लिया है।"

थल सेना में 46,615 अधिकारियों का पद है लेकिन 11,238 पद खाली पड़े हैं। पिछले तीन वर्षो में करीब 3000 अधिकारियों ने स्वैच्छिक अवकाश ले लिए आवेदन किया। इनमें अधिकतर आकर्षक कारपोरेट क्षेत्र में जाना चाहते थे।

अब थल सेना को आशा है कि आर्थिक संकट के कारण अधिकारियों को सेना में बनाए रखने और खाली पड़े पदों की भर्ती करने में मदद मिलेगी।

पिछले कुछ वर्षो में कारपोरेट सेक्टर में आकर्षक पैकेज के कारण प्रतिभाशाली युवा सेना से दूर होते जा रहे हैं जिस कारण सेना को उपयुक्त उम्मीदवारों के चयन में दिक्कत आ रही है।

अधिकारी ने बताया, "वर्ष 2004 में 430 अधिकारियों ने स्वैच्छिक अवकाश के लिए आवेदन किया, जिनमें से केवल 290 आवेदन स्वीकार किया गया। वर्ष 2007 में आवेदन करने वालों की संख्या बढ़कर 1260 हो गई।" पिछले साल भी करीब 1200 आवेदन प्राप्त हुए और यह संख्या 1500 को भी पार कर जाती।

अधिकारी ने बताया कि सितंबर 2008 के बाद स्थिति में बदलाव हुआ। वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई मंदी के कारण कर्मचारियों की हुई छंटनी ने सैन्य अधिकारियों को अपने कदम वापस करने पर मजबूर किए। स्वैच्छिक अवकाश प्राप्त कर ये अधिकारी टेलीकॉम, उड्डयन और प्रबंधन के क्षेत्र में जाना चाहते थे।

अधिकारी ने बताया कि तब से लेकर अब तक किसी भी अधिकारी ने स्वैच्छिक अवकाश के लिए आवेदन नहीं किया है बल्कि उल्टे औसतन हर तीसरे दिन एक आवेदन वापस लिया जा रहा है।

वायु सेना के सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर के बाद से समय पूर्व अवकाश के लिए कोई भी आवेदन हासिल नहीं हुआ है। पिछले वर्ष करीब 280 वायु सेना अधिकारियों ने अवकाश के लिए आवेदन किया था। नौसेना से भी अधिकारियों का भी पलायन रूक गया है।

पिछले 16 जनवरी यानी सेना दिवस के मौके पर थल सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने आशा जताई थी कि मंदी के कारण देश के युवाओं का सैन्य सेवा के प्रति रूझान बढ़ेगा।

कपूर ने कहा था कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाने के कारण सरकारी कर्मचारियों के साथ सैन्यकर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी हुई है। इससे सैन्य सेवा के प्रति युवाओं का आकर्षण बढ़ेगा और सेना में अधिकारियों की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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