उप्र में परिसीमन से कई दिग्गजों को तलाशनी पड़ी नई जमीन
नए परिसीमन के तहत होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह और उनके घोर विरोधी अशोक प्रधान,केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और राजबब्बर जैसे कई राजनेताओं को नई जमीन तलाशनी पड़ रही है।
प्रदेश में परिसीमन से सात संसदीय क्षेत्र खुर्जा, शाहाबाद, चायल, जलेसर, पडरौना, बलरामपुर और बिल्हौर समाप्त हो गए हैं, उनके स्थान पर सात नई लोकसभा सीटें श्रावस्ती, गौतमबुद्ध नगर, फतेहपुर सीकरी, धौरहरा, अकबरपुर, कुशीनगर और कौशांबी अस्तित्व में आईं।
पिछले लोकसभा चुनाव में सामान्य सीटें रही बुलंदशहर, इटावा, आगरा, मछलीशहर, शाहजहांपुर और बहराइच अब आरक्षित हो गई हैं। इस कारण बुलंदशहर से सांसद रहे कल्याण सिंह अब एटा से, आगरा से सांसद रहे सिने अभिनेता राजबब्बर फतेहपुर सीकरी से, शाहजहांपुर से सांसद रहे जितिन प्रसाद धौरहरा से और खुर्जा से सांसद रहे अशोक प्रधान बुलंदशहर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले उत्तर प्रदेश की अस्सी लोकसभा सीटों में से बांसगांव, बाराबंकी, बहराइच, राबर्ट्सगंज,लालगंज, शाहजहांपुर, जालौन, इटावा, हाथरस, बुलंदशहर, मोहनलालगंज, मछलीशहर, हरदोई, कौशांबी, आगरा, मिसरिख और नगीना सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव में आरक्षित रही अंबेडकरनगर, बिजनौर, फिरोजाबाद और बस्ती नए परिसीमन में सामान्य हो गई हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता नेता मुरली मनोहर जोशी अपनी परंपरागत सीट इलाहाबाद छोड़कर वाराणसी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं वहीं मेनका गांधी अपनी परम्परागत सीट पीलीभीत अपने बेटे वरुण गांधी के लिए छोड़कर आंवला से चुनावी मैदान में उतरेंगी।
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि नए परिसीमन ने कई क्षेत्रों में जाति और धर्म के आधार पर मतदाताओं के समीकरण बदल दिए हैं और राजनीतिक दल इस बात को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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