पेशावर उच्च न्यायालय की जगह अब शरिया कोर्ट में होगी सुनवाई
इस्लामाबाद, 16 फरवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा तालिबान के कब्जे वाली स्वात घाटी सहित पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) के कुछ हिस्सों में शरिया कानून लागू करने को दी गई मंजूरी के बाद अब यहां की स्थानीय अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई फेडरल शरिया कोर्ट करेगा।
इसके पहले इन याचिकाओं पर पेशावर उच्च न्यायालय में सुनवाई की जा रही थी।
यह प्रस्तावित व्यवस्था तालिबान समर्थक तहरीक-ए-निफाज-ए-शरिया-ए-मोहम्मदीन (टीएनएसएम) के मौलाना सफी मुहम्मद खान के साथ हुए एक शांति समझौते के बाद अस्तित्व में आया है। खान मलकंद क्षेत्र में शरिया कानून लागू किए जाने की मांग कर रहे थे।
उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के स्वात सहित मलकंद क्षेत्र में जारी निजाम-ए-आदिल कानून, प्रांत शासित आदिवासी इलाकों (पीएटीए) में जिला व कार्यकारी दंडाधिकारियों पर भी लागू होगा।
यह कानून वर्ष 1999 के उस निजाम-ए-आदिल कानून का स्थान लेगा, जिसने वर्ष 1994 के पीएटीए निफाज-ए-निजाम-ए-शरियत कानून का स्थान लिया था।
फिलहाल, पीएटीए के विभिन्न अदालतों द्वारा किए गए फैसलों के खिलाफ पेशावर उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की जाती थीं।
समाचार पत्र 'डान' की रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में एनडब्ल्यूएफपी सरकार के साथ बैठक में जरदारी ने स्वात सहित मलकंद मंडल में इस्लामी कानून लागू करने की तहरीक-ए-निफाज ए शरिया-ए-मोहम्मदी (टीएनएसएम)के मौलवी सफी मुहम्मद खान की मांग पर सहमति दे दी।
राष्ट्रपति की मंजूरी इसलिए आवश्यक थी, क्योंकि प्रांतीय सरकार मलकंद के मौजूदा कानूनों में बिना राष्ट्रपति की सहमति के कोई परिवर्तन नहीं कर सकती।
प्रांतीय सूचना मंत्री इफ्तिखार हुसैन ने कहा कि अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी)की सरकार अब आतंकवादियों और एक बड़े जिरगा संगठन टीएनएसएम के नेताओं से वार्ता करेगी।
तालिबान ने वार्ता के लिए 10 दिन के संघर्ष विराम की घोषणा की है।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने न तो इस खबर की पुष्टि की और न इसका खंडन ही किया। उन्होंने कहा कि जिरगा बैठक के बाद ही आधिकारिक बयान जारी होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।