शरीयत कानून लागू किए जाने का तालिबान ने मनाया जश्न
उधर पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार का कहना है कि इस समझौते को सरकार की कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
ज्ञात हो कि तहरीक-ए-निफाज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी (टीएनएसएम) के मौलाना सफी मोहम्मद ने सोमवार को उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) की सरकार के साथ प्रांत के सात जिलों में निजाम-ए-आदिल शरीयत कानून लागू करने संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
सफी मोहम्मद क्षेत्र में शांति स्थापना व आतंकियों के निशस्त्रीकरण के मुद्दे पर स्थानीय तालिबान नेता मौलाना फजलुल्लाह के साथ बातचीत करने वाले हैं।
कई पश्चिमी देशों ने इस समझौते की निंदा की है। इसे एक पतनकारी कदम बताया है। लेकिन पाकिस्तानी सरकार मंगलवार को इसके साथ पूरी तरह खड़ी दिखाई दी।
सूचना व प्रसारण मंत्री शेरी रहमान ने कहा, "यह किसी भी रूप में सरकार की कमजोरी का संकेत नहीं है। स्वात क्षेत्र की जनता की इच्छाओं को केंद्र में रख कर यह समझौता किया गया है।"
रहमान ने कहा कि यह समझौता तभी लागू माना जाएगा, जब क्षेत्र में शांति बहाल हो जाएगी।
रहमान ने कहा, "क्षेत्र में शांति बहाली के बाद ही राष्ट्रपति निजाम-ए-आदिल कानून को अपनी मंजूरी देंगे।"
ज्ञात हो कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों व तालिबानी लड़ाकों के बीच लंबे समय से जारी जंग के कारण स्वात घाटी से हजारों नागरिक पलायन कर गए हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि घाटी से लगभग 800,000 नागरिक पलायन कर चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।