विभिन्न भाषाओं के 23 साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार
सम्मानित किए जाने वालों में जयंत परमार (उर्दू), चिटि प्रलु कृष्णमूर्ति (तेलुगू), मेलंमई पोन्नु सामी (तमिल), शिरो शेवकाणी (सिंधी), बादल हेंब्रम (संथाली), ओम प्रकाश पांडे (संस्कृत), दिनेश पांचाल (राजस्थानी), मित्रसैन मीत (पंजाबी), प्रमोद कुमार मोहंती(उड़िया), हैमन दास राई (पाली), श्याम मनोहर (मराठी), अरामबम ओंबी मेमचौबी (मणिपुरी), स्व.के.पी.अप्पन (मलयालम), मंत्रेश्वर झा (मैथिली), अशोक एस.कामत (कोंकणी), गु.नबी आतश (कश्मीरी), श्रीनिवास बी.वैद्य (कन्नण), गोविंद मिश्र (हिंदी), सुमन शाह (गुजराती), चंपा शर्मा (डोंगरी), विद्या सागर नाजारी (बोडो), शरद कुमार मुखोपाध्याय (बांडला) जैसे साहित्यकारों के नाम शामिल हैं।
असमिया भाषा की साहित्यकार रीता चौधरी को उनके उपन्यास देओ लाड्खुइ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। चौधरी ने इसे अपने लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया।
हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं की जानकार चौधरी अपना अगला उपन्यास चीनी भाषा में लिख रही हैं। उनका पहला उपन्यास अविरत यात्रा वर्ष 1981 में प्रकाशित हुआ था।
रीता चौधरी का जन्म 1960 में हुआ और उन्होंने 1989 में दिफू गवर्नमेंट कालेज में राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका के रूप में शिक्षा जगत में करियर की शुरुआत की। वर्तमान में वे कॉटन कालेज गुवाहाटी में वरिष्ठ प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।