इंदौर में प्रबंधन और तकनीकी शिक्षा की जुगलबंदी का श्रीगणेश
अर्जुन सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश एक समृद्धशाली प्रदेश है और यहां हर तरह के संसाधन हैं। ये संसाधन आधुनिक युग में प्रदेश की तरक्की का सामाजिक आधार भी बनाते हैं। आईआईटी जैसी संस्थाओं का मार्गदर्शन मिलने से और भी तरक्की संभव होगी। भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, यही वजह है कि विश्व में ऐसा कोई भी देश नहीं है जहां भारत के नौजवानों ने अपनी दक्षता का प्रभाव स्थापित न किया हो।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए सिंह ने बताया कि आजादी के समय देश में जहां 20 विश्वविद्यालय थे आज उनकी संख्या बढ़कर 440 हो गई है। वहीं 21 हजार महाविद्यालय और सात हजार तकनीकी शिक्षण संस्थान कार्यरत हैं जिनमें डेढ़ करोड़ विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। आगामी 11 पंचवर्षीय योजना में उच्च शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। केंद्र ने देश में 374 महाविद्यालय शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें 39 मध्य प्रदेश में स्थापित होंगे। साथ ही पूरे देश में एक हजार पॉलीटेक्निक कॉलेज खोले जाएंगे, जिनमें से 21 मध्य प्रदेश में होंगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज के दिन को इंदौर ही नहीं प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य को समृद्धशाली बनाने के लिए शिक्षा आवश्यक है। इसीलिए प्रदेश सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। पहले सरकारी स्कूलों को अच्छा नहीं माना जाता था मगर अब स्थितियां बदली हैं और अब यहां के बच्चे प्रावीण्य सूची में स्थान हासिल करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि आईआईटी की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार ने 502 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है।
आईआईटी के भवन निर्माण पर लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होगी और जुलाई 2009 से प्रथम सत्र भी शुरू हो जाएगा। 40 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। यह संस्थान आईआईटी मुम्बई के मार्गदर्शन में चलेगा और मुम्बई के निदेशक देवांग बी़ खक्खर ही यहां के निदेशक होंगे। आईआईटी के शिलान्यास समारोह में वित्त मंत्री राघवजी, तकनीकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी व उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तकनीकी शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस और सांसद सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।