मुखर्जी ने पेश किया अंतरिम बजट
मुखर्जी ने अगले तीन माह के लिए संप्रग सरकार का छठा बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार लगातार तीन वर्षों तक आठ फ़ीसदी से ज़्यादा विकास दर हासिल करने में कामयाब रही है और इस दौरान राजकोषीय घाटे में उल्लेखनीय कमी आई है साथ ही सकल घरेलू बचत दर बढ़ कर 37 फ़ीसदी हो गई है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि टैक्स और जीडीपी का अनुपात 12.5 फ़ीसदी हो गया। राष्ट्रीय रोजगार योजना (नरेगा) ने रखी बदलाव की भूमिका।
मंदी का ज़िक्र करते हुए उनका कहना था, "वैश्विक मंदी का असर अभी ख़त्म नहीं हुआ है. विकासशील देश इस संकट से जूझ रहे हैं और वर्ष 2009 में स्थिति और ख़राब होने का अंदेशा है।"
उन्होंने माना कि भारत में औद्योगिक उत्पादन में कमी आई है लेकिन इसके बावजूद 7.1 फ़ीसदी विकास दर हासिल करने का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।
ऐसे समय में जब आर्थिक मंदी का असर देश के उद्योग जगत पर दिखाई देने लगा है और निर्यात और औद्योगिक उत्पादन में कमी आई है इस अंतरिम बजट से काफ़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं।
माना जा रहा है कि लोक सभा चुनाव से पहले पेश किए जानेवाले इस बजट पर उसकी छाया ज़रूर दिखाई देगी। यही वजह है कि अंतरिम बजट से आम जनता और उद्योग जगत को बहुत आशाएँ हैं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने के लिए दिसंबर से दो प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। अंतरिम बजट एक तरह से सरकार का आर्थिक चुनावी घोषणापत्र होता है. लेकिन आर्थिक संकट के कारण इस बार परिस्थिति थोड़ी भिन्न है, लेकिन उद्योग जगत का मानना है कि संकट से निपटने के लिए अभी और बहुत किया जाना बाकी है।
उद्योग जगत के संगठन एसोचैम ने अपने बजट पूर्व ज्ञापन में माँग की थी कि उद्योगों को कारपोरेट कर में छूट दी जाए। दूसरे संगठन फिक्की ने भी गृह कर में छूट को पांच वर्षों के लिए बढ़ाने की वकालत की है।