20 सप्ताह बाद गर्भपात की स्वीकृति पर विचार करेगा सर्वोच्च न्यायालय

By Staff
Google Oneindia News

प्रधान न्यायाधीश के.जी.बालाकृष्णन व न्यायमूर्ति पी. सथाशिवम की खंडपीठ ने मुंबई के एक स्त्री रोग विशेषज्ञ निखिल डी.दात्तेर द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार करते हुए शुक्रवार को इस मामले के परीक्षण का निर्णय लिया।

दात्तेर ने मुंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें अदालत की ओर से गर्भ धारण करने के 25वें सप्ताह में गर्भपात की इजाजत देने से इंकार कर दिया गया था।

बंबई उच्च न्यायालय ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 का हवाला देते हुए 31 वर्षीय निकिता को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। यह कानून गर्भ धारण करने के 20 सप्ताह बाद गर्भपात की इजाजत नहीं देता, क्योंकि यह मां के स्वास्थ्य या उसके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

अपनी याचिका में दात्तेर ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में संशोधन की मांग की है। दात्तेर ने तर्क दिया है कि किसी गर्भस्थ शिशु में खतरनाक हृदय रोग की पहचान 20 सप्ताह बाद ही की जा सकती है। क्योंकि 20वें सप्ताह बाद ही हृदय ठीक से विकसित हो पाता है।

इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार व महाराष्ट्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

*

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X