रैगिंग हुई, तो संस्थान की मान्यता रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे रैगिंग के मामलों को गंभीरता से लें। साथ ही राघवन समिति द्वारा सुझाए गए दिशा-निर्देशों पर अमल करें।
सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी संस्थान प्रवेश के समय अपने प्रॉस्पेक्टस में रैगिंग संबंधी नियमों को प्रकाशित करें।
जस्टिस अरिजित पसायत की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बुधवार को कहा है कि यदि संस्थानों में रैगिंग का एक भी मामला सामने आता है, तो संस्थानों को तत्काल कार्रवाई करते हुए उसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए।
राघवन कमेटी की सिफारिशों को सख्ती से लागू करने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि जो शिक्षण संस्थान रैगिंग रोकने में असफल रहते हैं, उनकी विषम परिस्थिति में मान्यता रद्द कर दी जाए।
खंडपीठ ने राज्य सरकारों से यह भी कहा है कि यदि संस्थान रैगिंग पर अंकुश लगाने में असफल हों तो उनको दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोक दी जाए। इसके अलावा कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भी ऐसे संस्थानों को वित्तीय सहायता नहीं देने को कहा है।
कोर्ट ने भारतीय चिकित्सा परिषद, यूजीसी और विश्वविद्यालयों को सलाह दी है कि वे नामांकन से संबंधित विवरणिका में राघवन समिति की सिफारिशों को प्रमुखता से शामिल करें, ताकि छात्र-छात्राएं इन गाइडलाइंस के प्रति जागरूक हो सकें।