एमआरटीपीसी ने विमान कंपनियों से किराया वृद्धि पर मांगा स्पष्टीकरण
जांच और पंजीकरण महानिदेशक (डीजीआईआर) की जांच एजेंसी एमआरटीपीसी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। एमआरटीपीसी के प्रवक्ता ने कहा कि इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर विभाग ने स्व प्रेरणा से यह निर्णय लिया है।
अधिकारी ने कहा कि यह गोलबंदी का मामला प्रतीत होता है। डीजीआईआर देखेगा कि क्या विमानन कंपनियों ने गोलबंदी करके एक साथ किराया बढ़ाया है। ऐसे समय जब हवाई ईंधन की कीमतें गिरकर वर्ष 2005 के स्तर पर आ गई है, तो यह नहीं होना चाहिए था।
एमआरटीपीसी के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइन के गठजोड़ के बारे में अभी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
उधर नागर विमानन महानिदेशक ने भी विमान सेवाओं से किराये में वृद्घि और विमान किराये के विज्ञापनों में पारदर्शिता पर जानकारी मांगी है।
विमान किराया वृद्घि के संबंध में डीजीसीए ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि घरेलू विमान सेवाओं ने फरवरी, 2009 के दूसरे सप्ताह से एक साथ अपने विमान किराये में वृद्घि कर दी है। डीजीसीए को एक साथ किये गये किराया वृद्घि के कारणों का पता नहीं चल रहा, खासकर उस समय जब 1, फरवरी 2009 से हवाई ईंधन के मूल्य वर्ष 2005 में मूल्यों के स्तर पर हैं। डीजीसीए का मानना है कि विमान किराया बढ़ाने के लिए कोई उचित कारण नहीं है ।
डीजीसीए ने विमान सेवाओं से किराया वृद्घि के संबंध में विस्तृत जानकारी और तर्कसंगत कारणों के ब्यौरे 14 फरवरी, 2009 तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*