गांधी जी की वस्तुओं की नीलामी से निराश हैं गांधीवादी
दुनिया भर के समाचार पत्रों ने जिस नीलामी को ऐतिहासिक करार दिया है, उसे लेकर गांधी मेमोरियल फाउंडेशन के सचिव रामचंद्र राही खासे निराश हैं।
राही ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा, "हमारे विचारों, रिश्तों, सोच और संस्कृति का अमेरिका में बाजारीकरण हो रहा है। यह सोचने पर बड़ा दुख होता है।"
उन्होंने कहा, "गांधी जी से जुड़ी सभी वस्तुओं को किसी सुरक्षित जगह पर जनता के दर्शन के लिए रखा जाना चाहिए, जिससे कि आने वाली पीढ़ी उन्हें देखकर ही कम से कम कुछ प्रेरणा हासिल कर सके।"
ब्रिटेन के समाचार पत्र टेलीग्राफ के मुताबिक एंटिकोरम आक्सनर्स द्वारा 4 व 5 मार्च को आयोजित की जाने वाली इस नीलामी में गांधी की पॉकेट घड़ी, एक कटोरा व एक प्लेट को भी शामिल किया जाएगा।
गांधी ने अपने चश्मों को एक भारतीय सेना के कर्नल एच.ए.शीरी दीवान नवाब को यह कहते हुए दिया था, "इन्होंने आजाद भारत की मुझे दृष्टि दी।"
अपनी चप्पलों को उन्होंने लंदन में आयोजित गोलमेज बैठक के पहले वर्ष 1931 में एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी को दे दिया था। इसी तरह पॉकेट घड़ी आभा गांधी को दे दी थी। आभा हमेशा महात्मा के साथ रहती थीं और वर्ष 1948 में गोली लगने बाद गांधी आभा की बाहों में ही गिरे थे।
गांधी अपनी हर चित्रों में वर्ष 1910 के आसपास निर्मित इसी पॉकेट घड़ी को लटकाए हुए दिखाई देते थे। यह घड़ी इस नीलामी की सबसे बड़ी खासियत होगी।
इस नीलामी को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए अहमदाबाद के वृद्ध गांधीवादी ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा, "अगर मुझे गांधी जी की वस्तुएं सुरक्षित रखने का काम मिलता तो मैं उनकी सारी वस्तुएं एक ट्रस्ट बनाकर संभालकर रखता। गांधी जी जैसे महान इंसान से जुड़ी वस्तुएं किसी एक की निजी संपत्ति हरगिज नहीं बननी चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।