मध्य प्रदेश में हर चौथे स्कूल में मात्र एक शिक्षक
हाल ही में तैयार हुई डीआईएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में कुल 1,20,661 स्कूल हैं। इनमें से 30 हजार 233 स्कूल ऐसे हैं, जहां मात्र एक ही शिक्षक है। कई स्कूलों में प्रधानाध्यापक नही हैं। परिणाम यह है कि छात्रों को न तो हिंदी पढ़ने आती हैं, न 100 तक गिनती ही।
प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा का हाल सबसे बुरा है। प्रदेश में कुल 84,000 प्राथमिक स्कूल हैं। इनमें 6,603 निजी विद्यालय भी शामिल हैं। इनमें से 32 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं जिन्हें एक-एक शिक्षक संचालित कर रहे हैं।
प्रदेश के जनजातीय जिलों बडवानी, मंडला, खरगोन, झाबुआ, डिंडोरी में 40 से 64 फीसदी तक ऐसे स्कूल हैं, जो मात्र एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
डीआईएसई की रिपोर्ट के मुताबिक माध्यमिक स्तर के स्कूलों में भी प्राथमिक शालाओं जैसा ही हाल है। प्रदेश के 48 जिलों में से 44 में 32 फीसदी ऐसे स्कूल हैं, जहां मात्र एक-एक शिक्षक हैं।
प्रदेश के हाई स्कूलों की भी स्थिति कान खड़े कर देने वाली है। चार प्रतिशत हाईस्कूलों में एक-एक शिक्षक हैं।
राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त मनोज झालानी इस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इंकार करते हैं। उन्होंने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि हकीकत में 15 फीसदी स्कूल ही ऐसे हैं, जहां एक नियमित शिक्षक तैनात हैं। लेकिन वहां अतिथि शिक्षकों की भी व्यवस्था की गई है।
झालानी बताते हैं कि प्राथमिक स्कूलों में जहां एक नियमित और दो अतिथि शिक्षक हैं, वहीं माध्यमिक शालाओं में एक नियमित तथा तीन अतिथि शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**