आस्ट्रेलिया के जंगलों में सबसे भारी आग लगाने वालों की तलाश शुरू

By Staff
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मेलबर्न के उत्तर में अभी भी आग लगी हुई है और इलाके के निवासियों को रूककर आग रोकने का प्रयास करने या फिर जान बचाकर भागने का निर्णय लेना है।

शनिवार को आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मृतकों की संख्या 173 थी। वर्ष 1983 में लगी भयंकर आग में हुई मौतों की संख्या से यह करीब दो गुनी है। विक्टोरिया प्रांत के प्रधानमंत्री जान ब्रम्बी ने कहा कि करीब 50 मृतकों की पहचान नहीं की जा सकी है। इसलिए मृतकों का आंकड़ा 200 से अधिक होगा।

फोरेंसिक दल का रास्ता साफ करने के लिए सेना के बुलडोजर लगे हैं। देर से इलाके को छोड़ने का निर्णय करने वाले कई लोगों की मौत उनके वाहन में ही हो गई।

मेलबर्न से करीब 100 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित किंगलेक और मेरिसविले में 750 घरों में से शायद ही कोई इमारत खड़ी है और 350,000 हेक्टेयर जंगल राख हो गया है।

पुलिस ने एक पहाड़ रिसोर्ट मारिसविले को अपराध स्थल घोषित किया है क्योंकि पुलिस का मानना है कि यहीं पर जानबूझकर आग लगाई गई।

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में आग लगने के मामलों में 50 प्रतिशत अपराधियों का काम होता है। इन्हें शायद ही पकड़ा जाता है क्योंकि बिना किसी निश्चित उद्देश्य के पुलिस या जासूसों को अपना काम करना बहुत मुश्किल होता है।

प्रधानमंत्री केविन रूड ने इस कार्य को अपराधियों द्वारा सामूहिक हत्या की संज्ञा देते हुए कहा कि विक्टोरिया पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने के लिए 100 जासूसों को नियुक्त किया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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