बिहार के गोविन्दा की मदद को आगे आए अनिवासी भारतीय
राजधानी पटना से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित सारण के सोनेपुर गांव के गोविंदा की मां की मौत के बाद उसके पिता ने उसे ठुकरा दिया। उसके बाद से वह अपने रिश्ते के भाई सोनू (5) और पिंकी (3) के साथ खुद के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के वास्ते स्कूल छोड़कर यहां-वहां काम करने को मजबूर हो गया।
उसने गांव के कुछ लोगों से भी मदद चाही लेकिन वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी।
हाजीपुर के एक समाचार पत्र में उसकी दुखद दास्तान प्रकाशित होने के बाद 10 से अधिक अनिवासी भारतीय गोविंदा की मदद के लिए आगे आए हैं।
पिछले सप्ताह इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले संवाददाता राजेश कुमार ठाकुर ने बताया, "अनेक अनिवासी भारतीयों ने हमसे संपर्क किया है वह गोविंदा की सहायता करने के लिए उत्सुक हैं।"
ठाकुर ने कहा कि ब्रिटेन के अनिवासी भारतीय उपेंद्र माने, ज्योति बलराज, चंद्र के. शेखर और अमेरिका की रिमझिम कपूर ने गोविंदा की मदद का प्रस्ताव रखा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।