मुद्रास्फीति की दर बढ़ी, अर्थशास्त्री चिंतित नहीं
गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह दर्शाया गया है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने इसे तात्कालिक बताया है। पिछले वर्ष की समान अवधि में मुद्रास्फीति की दर 4.45 फीसदी थी।
अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक सभी कमोडिटी का थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पिछले सप्ताह के 230 से 0.2 फीसदी बढ़कर 230.5 हो गया।
प्राथमिक वस्तुओं का सूचकांक पिछले सप्ताह के 249.3 से 0.1 फीसदी घटकर 249.1 (अस्थाई) हो गया, जबकि विर्निमित वस्तुओं का सूचकांक 201.1 से 0.3 फीसदी बढ़कर 201.8 (अस्थाई) हो गया।
विमान ईंधन (चार फीसदी) और फर्निस ऑयल (एक फीसदी) की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ईंधन, ऊर्जा, बिजली व स्नेहक का सूचकांक पिछले सप्ताह के 329.8 से 0.1 फीसदी बढ़कर 330 (अस्थाई) हो गया।
लगातार 11 सप्ताह की गिरावट के बाद यह लगातार दूसरा सप्ताह है जिसमें मुद्रास्फीति की दर बढ़ी है। इस वृद्धि को तात्कालिक करार देते हुए क्रेडिट रेटिंग इंफॉरमेशन सर्विसिज ऑफ इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री डी. के. जोशी ने कहा कि अगले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति की दर घट जाएगी। उनके मुताबिक मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति की दर 3-4 फीसदी के स्तर पर आ जाएगी।
दिल्ली
स्कूल
ऑफ
इकोनॉमिक्स
के
प्रोफेसर
श्रीराम
खन्ना
ने
कहा,
"अर्थव्यवस्था
पर
महंगाई
बढ़ने
के
दबाव
नहीं
होने
और
मंदी
के
रूझान
के
देखते
हुए
मुद्रास्फीति
की
दर
केवल
नीचे
आएगी।"