महंगी पड़ेगी बंद के दौरान तोड़ फोड़
बंद के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हड़ताल, बंद या राजनीतिक सभाओं के दौरान यदि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया तो उसकी भरपाई आयोजन करने वाले संगठन को ही करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति केटी थॉमस और वरिष्ठ अधिवक्ता फलीएस नरीमन की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जस्टिस अरिजीत पसायत के सामने पेश की। न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की खंडपीठ ने एक निर्णय देते हुए कहा कि तोड़फोड़ की जिम्मेदारी हड़ताल करने वाले संगठन की होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने हड़ताल, बंद और राजनीतिक सभाओं के दौरान तोड़फोड़ और सार्वजनिक संपत्ति को होने वाले नुकसान को रोकने के उपाये निकाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे कार्यक्रमों के आयोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता के मुताबिक रिपोर्टों में दो प्रमुख प्रस्ताव हैं। पहला, सार्वजनिक संपत्ति क्षति निरोधक अधिनियम 1984 के प्रावधानों को मजबूत बनाना और दूसरा आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ की गतिविधियों के लिए नेताओं को जवाबदेह बनाना। सुप्रीम कोर्ट ने इन सिफारिशों पर राज्यों व केंद्र राय मांगी है।
गौरतलब है कि वर्ष 2007 में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था।