जलवायु परिवर्तन दुनिया की आधी आबादी को कर देगा खाद्यान्न से वंचित
इस संकट की सबसे अधिक मार विशुवतीय इलाकों को झेलनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि इन इलाकों में दुनिया की सर्वाधिक गरीब और पिछड़ी आबादी निवास करती है। फिलहाल ऊष्णकटिबंधीय और उप ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में तीन अरब लोग रहते हैं और सदी के अंत तक यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। यह विशुवतीय पट्टी दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अर्जेटीना, दक्षिणी ब्राजील, उत्तर भारत, दक्षिणी चीनी, दक्षिणी आस्ट्रेलिया और अफ्रीका तक फैली है।
ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में तापमान बढ़ने से मक्का, धान जैसी प्रमुख फसलों की उपज क्षमता प्रभावित होगी। वाशिंगटन विश्वविद्यालय में जलवायु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डेविड बैट्टिस्टी ने स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के निदेशक रोजमंड नायलर के साथ मिलकर इस शोध को पूरा किया है।
डेविड ने कहा, "तापमान में इजाफे के कारण इन इलाकों में धान और मक्के की पैदावार में 20 से 40 फीसदी कमी आ जाएगी।" शोधकर्ताओं के मुताबिक फ्रांस, यूक्रेन, इटली जैसे देशों में तापमान बढ़ने के कारण पैदावार में कमी आती जा रही है। सदी के अंत तक आधी आबादी अनाज के घोर संकट की चपेट में आ जाएगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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