इस्तीफे के लिए बाध्य नहीं: शिबू सोरेन
उनके उनुसार वह इस बारे में कोई भी फैसला प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से विचार विमर्श करने के बाद ही लेंगे।
गौरतलब है कि बीते वर्ष 27 अगस्त को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले सोरेन को छह महीने के अंदर सदन की सदस्य होने की अनिवार्यता पूरी करनी थी।
मुख्यमंत्री बनते समय वह संसद के सदस्य थे। विधानसभा की सदस्यता लेने के लिए उन्होंने तमाड़ क्षेत्र से उपचुनाव में भाग्य आजमाया। पर वह हार गए हैं। सूत्रों के मुताबिक सोरेन को जल्दी ही इस्तीफा देना होगा।
सोरेन को झारखंड पार्टी के उम्मीदवार राजा पीटर ने नौ हजार से ज्यादा मतों से हराया। चुनाव हारने के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर बढ़ गई है और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोरेन और यूपीए के प्रदेश-प्रभारी मधु कोड़ा को दिल्ली बुलाया है।
सोरेन के हार के साथ ही यूपीए में भी घमासान मच गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने उनसे तत्काल इस्तीफे की मांग की है, जबकि राजद की ओर से अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भाजपा ने भी सोरेन के इस्तीफे की मांग करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने को कहा है।