मुझे कहीं तो रहना है: तस्लीमा
नसरीन ने एक लिखित टिप्पणी में कहा, "जहां की मैं रहने वाली हूं, उस बांग्लादेश या भारत सरकार द्वारा बार-बार ठुकराए जाने के बाद आखिर मुझे कहीं न कहीं तो बसना है।"
नसरीन ने कहा कि वह चाहे कहीं भी रहें, लेकिन बंगाल हमेशा उनका घर बना रहेगा। नसरीन ने आगे कहा, "मैं उन देशों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने मुझे उस समय अपने यहां शरण देने की पेशकश की, जब मैं बेघर थी।"
उन्होंने कहा, "लेकिन मैं चाहे जहां भी रहूं, मैं हमेशा स्वदेश वापसी की प्रतीक्षा करती रहूंगी।" ढाका, कोलकाता व नई दिल्ली सरकार के इस्लामी कट्टरपंथियों के दबाव में आने के बाद नसरीन पिछले वर्ष मार्च महीने में स्वीडन चली गईं थीं।
यूरोप व पेरिस ने नसरीन का हमेशा स्वागत किया है। पेरिस के मेयर कार्यालय की ओर से शनिवार को बताया गया कि नसरीन को मुफ्त आवास मुहैया कराए जाने का निर्णय किया गया है।
एक प्रवक्ता ने बताया कि नसरीन ने एक मानद नागरिक के रूप में मदद की मांग की थी। उन्हें फरवरी महीने में आवास मुहैया करा दिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।