जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री का फैसला 10 जनपथ में (लीड-3)
नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा "हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं। कांग्रेस नेतृत्व सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेगा। जम्मू-कश्मीर में हमारी प्राथमिकता होगी ऐसी स्थिर सरकार देने की जो जनमत की भावना के अनुकूल हो।"
उन्होंने कहा, "जम्मू कश्मीर की परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न है। यह पाकिस्तान से सटा बेहद संवेदनशील राज्य है। यहां की परिस्थियों को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व राज्य के आला कांग्रेसी नेताओं से विचार-विमर्श करने के बाद ही कोई निर्णय लेगा।"
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर लंबे समय से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की मार झेल रहा है। ऐसे में लोगों ने भारी संख्या में मतदान किया और अपना निर्णय सुना दिया। राज्य में मिले जनादेश के अनुसार ही उनकी पार्टी कोई निर्णय करेगी।
जम्मू-कश्मीर के नतीजों को खंडित जनादेश मानने से इंकार करते हुए तिवारी ने कहा, "चुनावी नतीजे भारतीय राजनीति की विविधता को दर्शाते हैं। ये नतीजे लोगों की सोच में आए व्यापक बदलाव की ओर भी इंगित करता है। यह सोच मसला-ए-कश्मीर से मसाइल-ए-कश्मीर तक बदला है।"
उधर, श्रीनगर में उमर ने संवाददाताओं से कहा, "अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कौन मुख्यमंत्री होगा। यह जरूर स्पष्ट है कि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मैं बनूंगा।"
उमर ने कहा कि इस समय वे कांग्रेस के साथ एक गठबंधन बनाने की ओर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। यदि मौसम ने साथ दिया तो डाक्टर साहब (फारुक अब्दुल्ला) आज नई दिल्ली जाकर कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात करेंगे।
इससे पहले, कई बार इधर-उधर करने के बाद फारुक ने उमर को पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया। फारुक ने कहा, "मैं हमेशा पार्टी के लिए काम करने और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका के बारे में सोचता था। मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी उम्मीदवार के रूप में उमर के चयन पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। नेकां विधायक दल अपनी बैठक में शीघ्र ही उनका नाम प्रस्तावित करेगा।"
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस सिलसिले में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज से सोमवार देर रात मंत्रणा करेंगी।
सरकार बनाने के लिए नेकां, कांग्रेस से गठबंधन की कोशिशें जरूर कर रही है लेकिन किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले कांग्रेस सभी संभावनाओं को तलाश लेना चाह रही है।
पीडीपी ने भी उधर कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की इच्छा जाहिर कर कांग्रेस को पशोपेश में डाल दिया है। अमरनाथ मुद्दे पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) द्वारा आजाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने के बावजूद कांग्रेस के कई नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद के प्रति भी सकारात्मक रुख रखते हैं।
बहरहाल, जम्मू में किस की सरकार बनेगी और कौन वहां का मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला कांग्रेस के रुख पर निर्भर करेगा। आखिरकार उसके पास सत्ता की कुंजी जो है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की कुल 87 विधानसभा सीटों में नेशनल कांफ्रेंस को 28, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को 20 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।