विधायक पर लगा राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून

उत्तरप्रदेश में पुलिस के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एक इंजीनियर की हत्या के अभियुक्त बसपा विधायक और अन्य तीन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगा गया है.
पुलिस के अनुसार विधायक और अन्य तीनों अभियुक्तों पर पहले ही गैंगस्टर अधिनियम के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जा चुका है.
राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत अभियुक्त को अंतरिम ज़मानत नहीं मिल सकती है. विधायक शेखर तिवारी और अन्य तीन अभियुक्तों को बुधवार को गिरफ़्तार किया गया था. विधायक पर पहले से भी कई आपराधिक मामले चल रहे हैं.
मारे गए इंजीनियर मनोज कुमार गुप्त की पत्नी शशि गुप्त ने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक पार्टी कोष के लिए उनके पति से 10 लाख रुपए चंदा के रुप में मांग रहे थे.
आरोप है कि राज्य की मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर उपहार देने के लिए ये कथित चंदा वसूली की जा रही थी.
इनकार
मायावती ने इन आरोपों से इनकार किया है और गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि विपक्ष ऐसे आरोप लगाकर उनकी छवि को ख़राब करने की कोशिश कर रहा है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये बात स्पष्ट हो गई है कि इंजीनियर को बिजली के झटके दिए गए थे, सिर और शरीर के दूसरे भागों पर ज़ख़्म के निशान मिले हैं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बृज लाल
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अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बृज लाल ने संवाददाताओं से कहा है कि पुलिस शेखर तिवारी सहित सभी गिफ़्तार अभियुक्तों को रिमांड पर लेने जा रही है ताकि आगे की जाँच की जा सके.
उन्होंने बाताया कि विधायक की सुरक्षा पर लगए गए दो पुलिस जवानों को निलंबित कर दिया गया है और पुलिस इस बात की जाँच कर रही है कि क्या ये पुलिस जवान भी इंजीनियर को मारने में शामिल थे.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक का कहना है, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये बात स्पष्ट हो गई है कि इंजीनियर को बिजली के झटके दिए गए थे, सिर और शरीर के दूसरे भागों पर ज़ख़्म के निशान मिले हैं."
सरकार ने इस मामले में दिव्यापुर के थानेदार होशियार सिंह को निलंबित कर दिया है जबकि औरेया ज़िले के पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण कर दिया है.
अभियंता नाराज़
इस पूरे मामले के आने के बाद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कर्मचारी हत्या के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
शुक्रवार को अभियंता समूह के अध्यक्ष एक़्यू फ़ारूक़ी ने मायावती के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि ये मामला विभागीय प्रतिद्वंदिता से जुड़ा हो सकता है. फ़ारूक़ी का कहना है, "मायावती के इस बयान से न सिर्फ़ उत्तरप्रदेश बल्कि पूरे देश के अभियंता आक्रोश में हैं. "
उधर विपक्षी समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिपाल सिंह यादव सहित कुछ नेताओं ने औरेया का दौरा किया है और आरोप लगाया है कि मायावती की सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मायावती के लिए ये घटना काफ़ी मुसीबत बन गई है और वो भी एक ऐसे समय पर जब मायावती की नज़र भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है.
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