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सीमाओं से परे हैं महिलाओं की दुविधा को उकेरते इब्सेन के नाटक

By Staff
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नई दिल्ली, 22 दिसम्बर (आईएएनएस)। नार्वे के सुप्रसिद्ध नाटककार हेनरिक इब्सेन के नाटकों के महिला किरदार पारंपरिक पश्चिमी किरदार नहीं हैं वे पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं।

देश और समय की सीमाओं से परे ये किरदार दुनिया भर की महिलाओं की दुविधा और उनकी मुक्ति की कथा कहते हैं। इनमें भारतीय महिलाएं भी शामिल हैं।

इस बात को 20 दिसम्बर को समाप्त हुए दिल्ली इब्सेन समारोह में शिद्दत से महसूस किया गया। समारोह के दौरान 19 वीं सदी के इस प्रतिष्ठित नाटककार के विभिन्न नाटकों को दक्षिण एशिया के परिप्रेक्ष्य में खेला गया और इस पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।

भारत में नार्वे की राजदूत एन्न ओल्लेस्टड ने आईएएनएस से कहा, "यह बहुत सफल योजना रही। मैं आधुनिक भारतीय महिलाओं की प्रबुद्धता और उनके ज्ञान से प्रभावित हूं। भारतीय समाज अनेक अंतर्विरोधों से भरा है। इसमें हर राज्यों में विकास का अलग-अलग स्तर शामिल है। देश में लोगों का जीवन स्तर भी अलग-अलग है।"

समारोह का आयोजन 'द रॉयल नार्वेजियन एंबेसी' और ड्रामैटिक आर्ट एंड डिजायन अकादमी ने संयुक्त रूप से किया था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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