रोम में अपनी जड़ें तलाश रहा है जर्मनी
इस दंतकथा में कहा जाता है कि रोम और उसके पड़ोसियों के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ करता था। जर्मनी के पुरात्वविद रोम में अपनी इन्हीं जड़ों को तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
19वीं शताब्दी में जर्मन इतिहासकारों ने अपने पुरखों की क्रूर छवियों को खारिज कर दिया था। इतिहासकारों ने अपने पुरखों को बहादुर ट्यूटॉनिक जाति का बताया था, जिन्होंने रोम के साम्राज्य के साथ मिलकर रोम पर आक्रमण करने वालों का सामना किया था।
तभी से जर्मनी में स्कूली बच्चों को यह पढ़ाया जाता रहा है कि जर्मनी रोम के दमनकारी शासन से लगभग मुक्त था और बाद के बिखर रहे जर्मन साम्राज्य के पलायन के लिए उन्हें 'जनता का पलायन' जैसा तटस्थ शब्द बताया गया।
डचों को ठीक इसी तरह एक जर्मन जाति 'बाटावी' कह कर सम्मानित किया गया है, जो फिलहाल नीदरलैंड में है। शुरू में इस जाति ने साम्राज्य की मदद की थी, बाद में इसने उसी साम्राज्य के साथ युद्ध किया।
रोम के सैनिकों द्वारा इस्तेमाल में लाए गए लाठी या तीर जैसे परंपरागत हथियार जिन्हें रस्सी के जरिए फेका जाता था, उनके निशान अभी भी पहाड़ी पर मौजूद हैं। पुरातत्वविद् उत्तर से हारझोर्न पहाड़ी पर रोम के हमले को प्रमाणित करने में सक्षम हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**