उपहार अग्निकांड : अंसल बंधु दोषी करार, सजा में कमी (लीड-2)
न्यायमूर्ति रविन्द्र भट्ट ने 500 पृष्ठ के अपने फैसले में गोपाल अंसल और सुशील अंसल की अपील ठुकराते हुए कहा कि उपहार सिनेमाहॉल के मालिक अंसल बंधु दर्शकों को सुरक्षा मुहैया कराने में असफल रहे। उन पर छह हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया।
पिछले 11 वर्षों से अदालती लड़ाई लड़ने वाली द एसोसिएशन आफ विक्टिम्स ऑफ ट्रेजेडी ने उच्च न्यायालय के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की है। उसे उम्मीद थी कि अदालत दोषियों की सजा की अवधि को बढ़ाएगी।
एसोसिएशन की नीलम कृष्णमूर्ति ने कहा कि दोषियों की सजा की अवधि कम किए जाने के फैसले से उन्हें गहरा आघात लगा है। इस हादसे में उन्होंने अपने दो बच्चों को खो दिया था।
इससे पूर्व राजधानी की एक निचली अदालत ने 20 नवंबर 2007 को गोपाल अंसल और सुशील अंसल को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए के तहत दोषी करार देते हुए दो-दो वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।
मामले की सुनवाई करते हुए भट्ट ने कहा, "लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कारोबारी सामाजिक उत्तरदायित्व नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"
उच्च न्यायालय ने उपहार के वरिष्ठ प्रबंधक निर्मल चोपड़ा और सहायक प्रबंधक आर.के.शर्मा को बरी कर दिया। दोनों को इससे पहले निचली अदालत ने सात वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।
उल्लेखनीय है कि उपहार सिनेमा हॉल में वर्ष 1997 में हुए अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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