स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बने नाट्य शास्त्र
वरिष्ठ रंगकर्मी अरुण पांडे ने इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों के पहल की जरूरत बताई। भारत भवन में शुरू हुए आदि विद्रोही नाट्य समारोह में हिस्सा लेने आए पांडे ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि नाट्यशास्त्र पांच हजार साल पुरानी विधा है और इसे सामाजिक मान्यता भी है।
यह ऐसी विधा है जिसमें दुनिया की सारी कलाओं का समावेश है। कविता, साहित्य, संगीत, शारीरिक कसरत आदि का समावेश इसमें कुछ इस तरह है कि यह बच्चे को शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाने में सक्षम है।
देश के प्रमुख रंगकर्मियों के साथ काम कर चुके निर्देशक पांडे का मानना है कि नाट्य शास्त्र एक मात्र ऐसा पाठ्यक्रम है जिसमें सभी पाठ्यक्रमों का समावेश है। इस पाठ्यक्रम में व्यक्ति को बेहतर मनुष्य बनाने की कला भी है।
उन्होंने कहा कि इसके जरिए लोगों में समूह में रहने की आदत बनती है और धर्म निरपेक्षता का भाव विकसित होता है। यहां आकर व्यक्ति किसी धर्म का प्रतिनिधि नहीं बल्कि सिर्फ कलाकार होता है। इतना ही नहीं रंगकर्मी में अपनी बात कहने का साहस आता है और वह व्यवस्था के खिलाफ बोलने से भी नहीं हिचकता।
विभिन्न टीवी चैनलों पर आ रहे रियलिटी शो और अन्य कार्यक्रमों को पांडे कला की दृष्टि से अहम मानते हैं। उन्हें लगता है कि इन कार्यक्रमों ने अभिभावकों को अपने बच्चे की खूबी देखने के लिए मजबूर कर दिया है।
जिस भी बच्चे में उन्हें एक विशेषता नजर आती है तो वे उसे उसी दिशा में प्रोत्साहित करने लगते हैं। इन कार्यक्रमों के चलते ही अभिभावकों को अपने बच्चों में हीरो नजर आने लगते हैं।
पिछले तीन दशक से रंग जगत में सक्रिय पांडे कहते हैं कि थिएटर को बढ़ावा देने वाले भी आगे आने लगे हैं। इसके बावजूद उन्हें लगता है कि इन आयोजनों को सिर्फ एक स्थान तक ही सीमित न रखते हुए हर उस जगह पर आयोजित करने की जरूरत है, जहां ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंच सकें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।