सिंहावलोकन-2008 : इस साल की खास उपलब्धि रहा भारत-अमेरिका परमाणु करार
वाशिंगटन, 20 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से इस साल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि तमाम अवरोधों के बावजूद ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी मिलना रही।
वर्ष 2007 के अंत में मनमोहन सिंह की सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथियों ने अमेरिका के साथ परमाणु करार की राह में आगे बढ़ने पर समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी।
बराक ओबामा के डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते को विदेश नीति की अपनी अंतिम महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया।
वामपंथी दलों के अमेरिकी कानून हाइड एक्ट पर एतराज जताने और सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह को समाजवादी पार्टी के रूप में नया सहयोगी मिला।
उधर, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए)और परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) के देशों से समझौते को मंजूरी दिलाने में अमेरिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अमेरिका में बराक ओबामा के चार नवंबर को राष्ट्रपति निर्वाचित होने के एक महीने पहले अमेरिकी कांग्रेस ने परमाणु सहयोग समझौते से संबंधित विधेयक को पारित कर दिया। इससे करीब तीन दशकों से भारत का अंतर्राष्ट्रीय परमाणु जगत से चला आ रहा अलगाव समाप्त हो गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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