टीवी चैनलों के लिए नई गाइडलाइंस

By Sridhar L
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नई दिल्ली, 19 दिसम्बर: मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकवादी हमले में भारतीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) और पुलिस द्वारा चली कार्रवाई लगभग 60 घंटे तक चली। इस कार्रवाई को पूरे विश्‍व ने टेलीविजन पर लाइव देखा।

खास बात यह है कि टीआरपी बढ़ाने की होड़ में जुटे निजी टीवी चैनलों ने इस हमले की खबरों को सनसनीखेज बनाते हुए प्रस्‍तुत किया। टीवी पर दिखाये गये लाइव प्रसारण के कुछ दृश्‍यों पर केंद्र सरकार ने भी कड़ी आपत्ति जताई।

दोबारा ऐसा न हो, इसके लिए टीवी चैनलों के लिए गाइडलाइंस (दिशा-निर्देश) जारी की गई हैं। आतंकवादी हमलों की कवरेज को लेकर आलोचनाओं का शिकार हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने खुद ये गाइडलाइंस तैयार की हैं।

नहीं प्रसारित कर सकेंगे संवेदनशील सूचनाएं

इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के संगठन 'इंडिया न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन" द्वारा ने गुरुवार को गाइडलाइंस जारी कीं। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्स डिस्प्यूट र्रिडेसल ऑथोरिटी के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस वर्मा ने दिशा-निर्देशों का खुलासा किया।

इसके अंतर्गत टीवी चैनल बंधकों के बारे में विस्तृत जानकारी और संवेदनशील सूचनाओं को प्रसारित नहीं कर सकेंगे। दिशानिर्देश में प्रसारणकर्ता से पीड़ितों और ऑपरेशन में शामिल सुरक्षाकर्मियों से लाइव संपर्क नहीं कर सकेंगे।

बंधकों की संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी और आतंकवादियों के लिए सहानुभूति पैदा करने वाली चर्चाओं को भी प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

जस्टिस वर्मा के मुताबिक टेलीविजन चैनलों को सलाह दी गई है कि वे बंधकों की पहचान, संख्या और उनकी स्थिति के बारे में किसी भी जानकारी का प्रसारण नहीं करें। उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वे बचाव अभियानों में सुरक्षाबलों की संख्या और अभियान के तरीकों के बारे में भी खुलासा नहीं करें।

चैनलों को यह भी सलाह दी गई है कि उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे भावनात्मक दृश्यों के प्रसारण में खास सावधानी बरतें। मृतकों के प्रति सम्मान दिखाएं और इस संबंध में दृश्य नहीं दिखाएं।

टीवी चैनल सशस्त्र संघर्ष, आतंरिक विवाद, साम्प्रदायिक हिंसा, जनता की नाराजगी आदि से संबंधित सभी खबरों का प्रसारण जनता के हितों को ध्यान में रखकर ही करें।

पुराने वीडियो फुटेज को अनावश्यक रूप से बार-बार और लगातार प्रसारित करने पर भी रोक लगायी गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के प्रसारण से दर्शकों के मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ सकता है, लेकिन यदि प्रसारण किया जाता है तो उस स्थिति में उस प्रसारण पर “फाइल" लिखा होना चाहिए और “फाइल" शब्द का प्रसारण भी साथ में किया जाना चाहिए।

सरकार भी नियम बनाने की तैयारी में

मुंबई हमलों के दौरान दिये गये कवरेज से नाराज केंद्र सरकार भी टीवी चैनलों के लिए नये नियम बनाने की दिशा में अग्रसर है।

टीवी चैनलों द्वारा लगातार प्रसारण संहिता का उल्लंघन करने और चैनलों के विरूद्ध सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी “कंटेंट कोड" का प्रारूप और प्रसारण क्षेत्र के लिए नियामक बनाने के उद्देश्य से प्रसारण सेवाएं नियमन विधेयक लाने की तैयारी में है।

मुम्बई हमले के कवरेज के बाद से संहिता लागू करने और इसे कड़ाई से लागू करने वाला निकाय बनाने का दबाव भी सरकार पर बढ़ रहा है।

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