अंतुले के बयान पर दिल्ली से महाराष्ट्र तक हंगामा (राउंडअप)
अंतुले के बयान को लेकर गुरुवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने अंतुले के इस्तीफे के साथ-साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस मामले में स्पष्टीकरण देने की मांग की ।
शून्यकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने अंतुले के बयान पर हंगामा आरंभ कर दिया। भाजपा के संतोष गंगवार ने मामला उठाते हुए कहा कि अंतुले का बयान अनुचित है, क्योंकि एक तरफ जहां आतंकवाद के मुद्दे पर पूरा देश एक स्वर में बोल रहा है वहीं अंतुले करकरे की शहादत पर राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अंतुले के बयान पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
भाजपा के ही योगी आदित्यनाथ ने कहा, "अंतुले ने इस प्रकार का बयान देकर शहीदों के बलिदान का अपमान किया है। केंद्र सरकार के एक मंत्री से इस प्रकार के बयान की उम्मीद नहीं थी। मंत्री का नाकरे टेस्ट होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल से उन्हें तत्काल बाहर करें।
सदस्यों के शोरशराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि अंतुले बुधवार को ही लोकसभा में इस मामले पर अपनी सफाई पेश कर चुके हैं।
हंगामे के दौरान अंतुले सदन में मौजूद थे लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। बाद में सदन के बाहर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने अपने बयान के सिलसिले में न तो प्रधानमंत्री और न ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की है और मैंने कोई सफाई भी नहीं दी है।"
भाजपा का मानना है कि अंतुले का बयान अनायास ही नहीं आया है बल्कि यह कांग्रेस की एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाते हुए पार्टी ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून बनाने और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के गठन पर जब लोकसभा में बहस चल रही थी ठीक उसी समय केंद्र सरकार के एक मंत्री बेहद गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे थे।
भाजपा संसदीय दल के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने संवाददाताओं से चर्चा में कहा, "अंतुले का बयान गैरजिम्मेदाराना ही नहीं बल्कि देश के खिलाफ भी है। उनका बयान आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर करता है।" उन्होंने कहा कि अंतुले को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस मसले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाहनवाज ने कहा, "शुरू से ही कांग्रेस दोमुंही राजनीति करती रही है। उसका ताजा उदाहरण है अंतुले का बयान। जिस दिन सख्त कानून और उसी दिन मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान। यह दोहरा मापदंड नहीं तो क्या है।"
उधर अंतुले के बयान पर गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के कारण महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी।
अंतुले के बयान से नाराज भाजपा और शिवसेना विधायकों ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव (नियम 57) के अंतर्गत चर्चा कराने की मांग की थी।
विधानसभा में विपक्ष के नेता रामदास कदम और भाजपा नेता एकनाथ खड़से ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि संसद में केंद्रीय मंत्री का बयान उनका व्यक्तिगत बयान नहीं माना जा सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष बाबा साहेब कुपेकर ने सदस्यों के हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही को तीन बार स्थगित किया। सदस्य प्रश्नकाल को निलंबित करके तथा अन्य सभी गतिविधियों को रोक कर स्थगन प्रस्ताव के तहत इस मामले पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे।
विपक्ष के सदस्यों ने इसके साथ ही नारेबाजी शुरू कर दी और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक ए.एन.राय और मुंबई पुलिस आयुक्त हसन गफूर की बर्खास्तगी की मांग की।
बाद में विपक्ष के सदस्यों ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत अंतुले की गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने खुफिया सूचनाओं के बावजूद सही कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य के अतिरिक्त गृह सचिव चितकला जुत्शी के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।