गरीबी रेखा का पुनर्मूल्यांकन संभव : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा कि सरकार गरीबी के स्तर को तय करने वाले मानकों का नए सिरे से मूल्यांकन कर सकती है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने कहा, "गरीबी मापने के कई तरीके हैं। मौजूदा तरीका योजना आयोग द्वारा अपनाया गया है। इसमें सुधार संभव है।"
राज्यसभा में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की परिभाषा तय करने के तरीके पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी. नारायणस्वामी और भारतीय जनता पार्टी के मुरली मनोहर जोशी के बीच गर्मा-गर्म बहस के बीच हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "गरीबी मापने के बारे में विश्व बैंक ने भी अध्ययन किया है, परंतु हमने उनकी पद्धति नहीं अपनाई है। योजना आयोग ने इस संबंध में अपना खुद का तरीका विकसित किया है।"
उन्होंने कहा कि हर पांच वर्ष में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) न्यूनतम कैलोरी के आधार पर गरीब जनसंख्या का आकलन करता है। मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्र के लिए न्यूनतम आवश्यक कैलोरी 2,400 और शहरी क्षेत्रों में 2,100 है।
इस बात से जोशी संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि आप केवल कैलोरी के आधार पर गरीबी का आकलन कर रहे हैं। कपड़ों, परिवार की जरूरतों और दवाओं के बारे में क्या होगा?
इस संबंध में मनमोहन सिंह के उत्तर देने से पहले ही राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल समाप्त होने की घोषणा कर दी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।