स्पेक्ट्रम घोटाले पर लोकसभा में हंगामा, वाम दलों का बहिर्गमन (लीड-1)
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वासुदेव आचार्य ने पिछले दिनों केंद्रीय संचार मंत्रालय द्वारा दूरसंचार कंपनियों को आवंटित किए गए स्पेक्ट्रम में घोटाले का आरोप लगाया। लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने उन्हें रोकते हुए कहा कि इस मामले को पहले भी उठाया गया है, लिहाजा इस पर दोबारा चर्चा नहीं कराई जा सकती। इसके साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और माकपा के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर विरोध करने लगे। बार-बार अपील के बावजूद आचार्य चर्चा कराने की अपनी मांग पर अड़े रहे।
कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्यों ने वामदलों के रुख का प्रतिकार किया। वे भी अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष की बार बार चेतावनियों के बावजूद हंगामा जारी रहा। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि वे आचार्य के नोटिस को देखने के बाद ही कोई फैसला लेंगे। आचार्य अपनी मांग पर अड़े रहे। इस दौरान वामदलों के सांसद उनके समर्थन में हंगामा करते रहे। बीस मिनट तक चले हंगामे के बाद वामदलों के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गएं।
उधर, भाजपा ने इस मामले की जांच संसदीय समिति या सीबीआई से कराने की मांग की। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने संवाददताओं से चर्चा में कहा, "स्पेक्ट्रम घोटाला सिर्फ घोटाला नहीं है बल्कि महाघोटाला है। 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत कम आंकी गई। जीएसएम ऑपरेटरों को बाजार दर पर स्पेक्ट्रम नहीं बेचा गया। नौ कंपनियों को इससे फायदा पहुंचा और कुछ विशेष कंपनियों को भी फायदा पहुंचाया गया। हम इस मामले की संसदीय जांच समिति या सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हैं।"
उन्होंने इस संबंध में सरकार के समक्ष पांच मांगें रखीं। उन्होंने कहा, "दूरसंचार मंत्री ए. राजा बार-बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जिस चिट्ठी का जिक्र कर रहे हैं उसका खुलासा होना चाहिए। साथ ही अन्य विभागीय पत्राचारों का भी खुलासा किया जाना चाहिए। स्वाल नामक कंपनी को विशेष तौर पर लाभ पहुंचाया गया, इसके बारे में भी स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए।"
जावडेकर ने कहा, "इस पूरे प्रकरण पर कांग्रेस और प्रधानमंत्री की चुप्पी आश्चर्यजनक है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।