भारत ने कहा, पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अपना संकल्प पूरा करे (राउंडअप)
एक व्यापारिक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने यहां संवाददाताओं को बताया, "सिर्फ आशय या आशय को व्यक्त करना पर्याप्त नहीं है।"
मुखर्जी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपने पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति द्वारा किए गए वादों को पूरा करेगा।"
मुखर्जी 6 जनवरी 2004 के उस संयुक्त बयान का हवाला दे रहे थे, जिसमें पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने संकल्प लिया था कि वह भारत के खिलाफ आतंकी कार्रवाई के लिए पाकिस्तानी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
मुशर्रफ का यह संकल्प 13 दिसंबर 2001 संसद पर हमले के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया की बहाली का आधार बना था। इस हमले के लिए नई दिल्ली ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था।
ठीक इसी तरह का संकल्प राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी 24 सितंबर 2008 को एक संयुक्त बयान में उस समय दोहराया था, जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी।
श्रीनगर में मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने पाकिस्तान से अपने आतंकवाद निरोधी संकल्प को पूरा करने की मांग की थी।
मुखर्जी ने इसके तहत पाकिस्तान में सभी आतंकवादी ढांचों को ध्वस्त करने व विभिन्न आतंकी कार्रवाइयों के लिए 40 वांछितों को भारत को सौंपने की मांग की थी।
मुखर्जी ने यह भी दोहराया था कि द्विपक्षीय संबंध तब तक सामान्य नहीं होंगे, जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ संतोषजनक कार्रवाई नहीं करता।
इसी बीच, इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री आसिफ अली जरदारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सिफारिश के बाद उनकी सरकार ने जमात-उद-दावा के खिलाफ कार्रवाई की है।
गिलानी ने बुधवार को यह भी दोहराया कि उनकी सरकार मुंबई हमले की जांच में भारत को सहयोग के लिए तैयार है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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