सिखों ने पगड़ी पर प्रतिबंध को संयुक्त राष्ट्र संस्था में चुनौती दी
सिखों के यूनाइटेड सिख नामक ने यूएनएचआरसी से कहा है कि पगड़ी पर प्रतिबंध उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का दमन और समुदाय को मूल अधिकारों से वंचित करना है। इस संबंध में एक याचिका सोमवार को तीन सिखों की ओर से उनके वकील ने पेश की।
याचिका में कहा गया है कि पगड़ी पहनने के कारण उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया है, जबकि पगड़ी पहनना सिख धर्म की मूल पहचान है।
इन तीन सिखों में एक स्कूली छात्र बिक्रमजीत सिंह है जिसे पगड़ी हटाने से इंकार करने के बाद स्कूल से निष्कासित कर दिया गया। एक वरिष्ठ नागरिक रंजीत सिंह को राशन कार्ड नहीं होने के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लाभ से वंचित कर दिया गया। उन्होंने राशन कार्ड के लिए पगड़ी हटाकर फोटो खिंचाने से मना कर दिया था।
तीसरा व्यक्ति शिंगारा मान सिंह है, जिसके पहचान पत्र का नवीनीकरण करने से मना कर दिया गया क्योंकि उसने भी पगड़ी हटाकर फोटो खिंचाने से मना कर दिया था।
संगठन के निदेशक कुलदीप सिंह ने कहा कि फ्रांस सरकार द्वारा मार्च 2004 में पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध लगाने के बाद पहली बार यूएनएचआरसी के सामने इस तरह का मामला पेश किया गया है।
संवाददाता सम्मेलन में संगठन की कानूनी निदेशक मेंजिदरपाल कौर ने कहा कि तीनों सिखों ने संयुक्त राष्ट्र से नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संविदा के अनुच्छेद 2,17,12,18 और 26 के तहत फ्रांस में सिख समुदाय को उनके अधिकार दिलाने का आग्रह किया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।