चिकित्सा विज्ञान की खातिर देहदान का अभियान
मंदसौर का नैनवानी परिवार मरने के बाद भी अपनी सेवाएं समाज के लिए देना चाहता है। इसलिए उस परिवार के चार सदस्यों ने देहदान का संकल्प लिया है। वे चाहते हैं कि समाज के अन्य लोग भी देहदान करें ताकि उनकी देह का इस्तेमाल चिकित्सा विज्ञान में नई खोजों के लिए किया जा सके।
नैनवानी परिवार राधास्वामी संप्रदाय को मानने वाला है। राधास्वामी का व्यास में आश्रम है, जहां परिवार के सदस्य हर वर्ष नियमित रूप से जाते हैं। सुरेश नैनवानी बताते है कि आश्रम में सत्संग से पहले अंगदान से संबंधित वृत्त चित्र दिखाया जाता है। इसे देखने के बाद उनके परिवार के सदस्यों को लगा कि अगर देहदान ही कर दिया जाए तो यह सच्ची समाज सेवा होगी।
नैनवानी बताते हैं कि उनके परिवार के सदस्यों ने विचार विमर्श किया और पाया कि चिकित्सा छात्र देह का उपयोग बीमारियों और उनके निदान के रास्ते खोजने में कर सकते हैं। परिणाम स्वरूप उन्होंने देहदान का फैसला कर लिया।
नैनवानी परिवार के सुन्दर दास (72 वर्ष), संत राम (44 वर्ष), श्रीमती कान्ता (42 वर्ष) और सुरेश नैनवानी (34 वर्ष) देहदान का रोटरी क्लब में आवेदन कर चुके है। रोटरी क्लब ने उन्हें एक प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है। नैनवानी परिवार के सदस्य इसी प्रमाण पत्र को आम लोगों को दिखाकर देहदान के लिए प्रेरित कर रहे है।
उनका कहना है कि मरने के बाद यह देह चिकित्सा जगत के लिए मूल्यवान है। चिकित्सा के छात्र इस देह से नए प्रयोग कर बीमारियों का निदान खोज सकते हैं, जो समाज के लिए लाभकारी है। वे चाहते हैं कि लोग देहदान कर समाज की सेवा करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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