बांग्लादेश में इस्लामी पार्टियों के खिलाफ आक्रोश
ढाका, 16 दिसम्बर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के आम चुनावों में हिस्सा ले रही इस्लामी पार्टियों के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लोगों ने प्रचार करना आरंभ कर दिया है। कई लोगों ने इन पर वर्ष 1971 में नागरिकों के नरसंहार में पाकिस्तानी अधिकारियों का साथ देने का आरोप लगाया है।
इनके निशाने पर देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और खालिदा जिया के प्रधानमंत्री के दो कार्यकालों के दौरान उनकी सहयोगी रही अन्य छोटी पार्टियां हैं।
मतदाताओं के बीच प्रचार करने के साथ ही धर्मनिरपेक्ष लोग चुनाव आयोग की भी आलोचना कर रहे हैं। चुनाव आयोग पहले इस्लामी पार्टियों को आम चुनाव से बाहर रखने के लिए प्रतिबद्ध था। परंतु बाद में वह हिचक गया, क्योंकि सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार फखरुद्दीन अली अहमद ने चुनावों में सभी को शामिल करने का वादा किया था।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जब बांग्लादेश आजाद हुआ तो जमात-ए-इस्लामी सहित अन्य इस्लामी पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। खालिदा के पति जियाउर्रहमान के शासन काल में ये फिर राजनीति में वापस लौटीं। इस दौरान भी इनका पाकिस्तानी सेना से संबंध कायम रहा। इस संबंध में दस्तावेजी सबूत उपलब्ध हैं।
जमात के मुखिया मतिउर रहमान निजामी और महासचिव अली मुहम्मद मुजाहिद के खिलाफ पाकिस्तान सेना से संबंध रखने का आरोप है। ये दोनों चुनावों में उम्मीदवार हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आम चुनाव में कुल ऐसे 14 लोगों की पहचान की गई है जो युद्ध अपराधी होने के बावजूद उम्मीदवार बने हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।