'नॉन-स्टेट एक्टर्स' पर रोक लगाना असान नहीं : प्रधान न्यायाधीश
'आतंकवाद और मानवाधिकार' विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति बालाकृष्णन ने कहा, "मुंबई हमलों के साथ ही नॉन-स्टेट एक्टर्स के कारनामों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराने का सवाल एक और व्यावहारिक अवरोधक के रूप में सामने आया है।"
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "यद्यपि, कोई भी यह कह सकता है कि अपनी धरती से आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाना सभी सरकारों की नैतिक जिम्मेदारी है। यह कहना जितना आसान है, इसके अनुरूप व्यवहार करना उतना ही मुश्किल है।"
प्रधान न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन किए जाने के तुरंत बाद अपने संबोधन में ये बातें कही। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "हमारे क्षेत्र की सरकारों और संस्थाओं को आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से और तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए।"
ज्ञात हो कि मुंबई हमलों के लिए भारत ने पाक स्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है जबकि पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने आतंकवादियों को 'नॉन स्टेट एक्टर्स' करार दिया है।
बालाकृष्णन ने कहा, "कई आतंकवादी संगठन पश्चिमी देशों में धन इकट्ठा करने और हथियार हासिल करने में सफल हो जा रहे हैं जहां के बारे में माना जाता है कि हमारे यहां की तुलना में उनकी पुलिस व्यवस्था बेहतर है।"
बालाकृष्णन ने ये सारी बातें आतंकवाद की प्रवृत्ति के कारण विश्व की न्याय व्यवस्था के सामने उपस्थित नई चुनौतियों के बारे में कही।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आतंकवादी घटनाओं का चौबीसों घंटों लाइव प्रसारण आम लोगों को एक विशेष समुदाय के खिलाफ उकसा सकता है।
उन्होंने कहा, "इसपर अवश्य ध्यान देना चाहिए कि व्यापक मीडिया कवरेज के कारण समान्य जनता पर आतंकवादी हमलों का सांकेतिक असर महत्वपूर्ण रूप से बढ़ जाता है।" उन्होंने कहा, "अप्रतिबंधित कवरेज का एक बुरा असर भीड़ में गुस्सा उकसाने का काम कर सकता है।"
बालाकृष्णन ने कहा, "हालांकि मीडिया के लिए यह सही है कि वह सुरक्षा और कानून को लागू करने वाली एजेंसियों की नाकामी की आलोचना करे लेकिन यह भी संभव है कि यह आक्रोश बदला लेने की अतार्किक इच्छा में तब्दील हो जाए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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