पुलिस के पास हथियारों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा केंद्र से सवाल
पूर्व अटर्नी जनरल सोली जे. सोराबजी की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन और न्यायाधीश पी. सथशिवम की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर एक माह के भीतर जवाब मांगा है।
हालांकि, खंडपीठ इस तर्क से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी कि आतंकवादियों से नागरिकों को बचाने का एक मात्र रास्ता पुलिस बल को शस्त्र मुहैया करवाना है।
वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी के तर्को पर प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, "क्या ऐसा कोई देश हैं जहां की जनता को पूरी तरह पुलिस सुरक्षा मुहैया कराती है।"
सोराबजी की जगह अदालत में उपस्थित हुए रहतोगी ने कहा कि मुंबई में विभिन्न जगहों पर हुए आतंकवादी हमलों के टेलीविजन फूटेज से पता चलता है कि पुलिस केवल लाठी या फिर 'थ्री नॉट थ्री' राइफल से लैस थी, जो आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए अत्याधुनिक हथियार से मेल नहीं खाता था।
उन्होंने कहा कि पुलिस के पास बचाव के उपकरण तक नहीं थे। प्रभावी बुलेट प्रूफ जैकेट के अभाव में भारी संख्या में जानमाल का नुकसान हुआ। इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।