हमले के 7 वर्ष बाद भी बरकरार है संसद भवन की सुरक्षा को लेकर सवाल
नई दिल्ली, 12 दिसम्बर (आईएएनएस)। देश की संसद पर आतंकवादी हमले को पूरे सात वर्ष हो गए लेकिन लोकतंत्र के इस प्रतीक की सुरक्षा को लेकर अभी भी कई सवाल अपनी जगह कायम हैं।
उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर, 2001 को पांच हथियारबंद आतंकवादी एक कार में सवार होकर संसद भवन के परिसर में घुस गए थे, लेकिन सुरक्षा बलों की मुश्तैदी और साहस ने हिंसा के एक बड़े तांडव को होने से रोक दिया था। उस दौरान चार आतंकवादी ढेर हो गए थे और पांच सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए थे।
इस हमले के बाद संसद समेत कई महत्वूपर्ण सरकारी इमारतों में प्रवेश के लिए पहचान पत्र जारी किए गए और चौकसी बढ़ाने की बात भी कही गई। यही नहीं संसद और उसके आसपास की सुरक्षा को तकनीकी तौर भी चाकचौबंद करने की बात कही गई थी।
सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद हाल ही में संसद की सुरक्षा की पोल उस समय खुल गई थी जब मनमोहन सिंह सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर संसद में बहस हो रही थी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद नोटों से भरा थैला संसद में लेकर पहुंच गए थे।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "हमें संसद में आने-जाने वाले सांसदों की जांच-पड़ताल का अधिकार नहीं है। कोई नहीं जानता कि वे अपने साथ क्या ला-ले जा रहे हैं।"
गुरुवार को संसद की सुरक्षा में सेंध लगने की बात उस समय आई जब दिल्ली पुलिस ने वीआईपी पार्किं ग से चोरी करने के आरोप में अशोक कुमार नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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