जमात-उद-दावा पर लगा प्रतिबंध
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध लगाने वाली समिति ने एक पाकिस्तानी संगठन के चार नेताओं के नाम उस सूची में शामिल किए हैं जिन पर अल क़ायदा और तालेबान के साथ संबंध होने के आरोप हैं.
जिन लोगों और संगठनों के नाम इस सूची में शामिल किए जाते हैं उन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से कई तरह के प्रतिबंध लागू रहते हैं. इनमें यात्रा करने, वित्तीय मदद एकत्र करने, इनकी जायदाद ज़ब्त किए जाने जैसे प्रावधान हैं.
समाचार एजेंसियों के अनुसार इन नेताओं के नाम हैं - मोहम्मद सईद, ज़क़ी-उर रहमान लख़वी, हाजी मोहम्मद अशरफ़ और महमूद मोहम्मद अहमद बाहाज़ीक़. इनका संबंध पाकिस्तानी संगठन जमात उद दावा से है, जिसे भारत सरकार प्रतिबंधित संगठन लश्करे तैयबा से जुड़ा बताती है.
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने इसपर कहा है कि "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति के फ़ैसले से ख़ुश हैं. इस कार्रवाई के बाद इन आतंकवादियों की यात्रा करने, हथियार पाने और रखने, नए चरमपंथी हमलों के लिए पैसा एकत्र करने की क्षमता पर रोक लगेगी"।
इससे पहले भारतीय विदेश उपमंत्री ई अहमद ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था, "हमने सुरक्षा परिषद से अनुरोध किया है कि पाकिस्तानी संगठन जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाए क्योंकि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के मुताबिक यह एक आतंकवादी संगठन है. मुंबई हमलों की योजना बनाने वालों, वित्तीय और अन्य तरह की मदद देने वालों को दंड मिलना चाहिए."
'जमात लश्कर से अलग'
उधर पाकिस्तान ने इस संदर्भ में सहयोग का आश्वासन दिया है. लेकिन जमात उद दावा ने कहा है कि उसका संगठन लश्करे-तैयबा से अलग है और ये पाकिस्तान में न्यायालय मान भी चुका है.
के मोहम्मद सईद ने बीबीसी उर्दू सेवा को बताया, "ये भारत सरकार का प्रोपेगैंडा (प्रचार) है. पहले भारत लश्करे तैयबा का नाम ले रहा था और कल इन्होंने जमात उद दावा का नाम लेना शुरु किया. वे सबूत पेश करें सब स्पष्ट हो जाए. हमने पाकिस्तान में न्यायालय में ये साबित किया और न्यायालय ने भी माना कि लश्करे तैयबा और जमात उद दावा भिन्न हैं."
जमात उद दावा
महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी कह चुके हैं कि लश्करे तैयबा के दो नेताओं - लख़वी और ज़रार शाह को गिरफ़्तार किया जा चुका है.